Chandigarh: पंजाब के अमृतसर में एक ऐसी घटना हुई जिसके बाद पूरा पंजाब सन्न रह गया। दरअसल पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल सहित शिरोमणि अकाली दल के अन्य नेता अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से घोषित धार्मिक दंड के तहत ‘सेवा’ कर रहे थे। जिस दौरान वहां फायरिंग हुई। नारायण सिंह चौड़ा नाम के एक व्यक्ति द्वारा बादल पर गोलियां चलाने की कोशिश की गयी। हालाँकि फायरिंग में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए। सुरक्षाकर्मियों ने सतर्कता दिखाते हुए आरोपी को काबू में कर लिया।
मामले पर एडीसीपी हरपाल सिंह ने कहा कि यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। जब घटना हुई उससे पहले शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से सुनाई गई सजा को भुगतने के लिए स्वर्ण मंदिरपहुंचे थे, मंगलवार को भी वो सुबह 9 बजे से 12 बजे तक स्वर्ण मंदिर में मौजूद रहे.जहाँ उन्होंने उन्होंने घंटाघर के बाहर सेवादार के कपड़े पहनकर और बरछा पकड़कर पहरेदारी की। साथ ही उन्होंने करीब एक घंटे तक कीर्तन भी सुना और अंत में लंगर के बाद जूठे बर्तनों को भी साफ किया।
बदल के साथ पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया और सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी वहां मौजूद थे। उन्होंने भी जूठे बर्तन साफ किए। अकाली दाल के नेता नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा, सुरजीत सिंह रखड़ा, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, महेश इंदर ग्रेवाल ने टॉयलेट साफ किया। पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को भी टॉयलेट साफ करने की सजा दी गई थी लेकिन उनके पैर में फ्रैक्चर होने की वजह से उन्हें इससे छूट मिल गई।
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घटना के सामने आने के बाद से ही एक सवाल उठ रहा है की आखिर ये गोली चलाने वाला व्यक्ति है कौन ? नारायण सिंह चौड़ा जिसने बादल पर गोली चलाई वो बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आंतकी रहा है। हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में भी चौरा का नाम सामने आता रहा है। चौरा पहले पंजाब की जेल में सजा भी काट चुका है, अगस्त 2018 में वो पांच साल सजा काटकर जेल से बाहर आया था। उसके खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के तहत कई मामले दर्ज हैं। 1984 में वो पाकिस्तान भी गया था, पाकिस्तान में रहते हुए नारायण चौरा ने कथित तौर पर गरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य को लेकर एक किताब भी लिखी थी।