Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि में तुलसी, शंख और कलश का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि आध्यात्मिक उन्नति, नई ऊर्जा और भक्तिभाव से ओत-प्रोत नौ दिनों का पावन पर्व है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना के साथ-साथ पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन शुभ माना जाता है। इन धार्मिक अनुष्ठानों में तुलसी का पौधा, शंख और कलश की स्थापना विशेष महत्व रखती है। ये न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों, पुराणों और वेदों में इनके महत्व का विस्तार से उल्लेख किया गया है, क्योंकि ये देवी पूजन के अभिन्न अंग होने के साथ-साथ घर में सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करने एवं सुख-समृद्धि को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

1. तुलसी का महत्व

तुलसी को हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। स्कंद पुराण, विष्णु पुराण और देवी भागवत महापुराण में तुलसी की महिमा का विशेष उल्लेख मिलता है। इसे घर में लगाने और इसकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

धार्मिक महत्व:

  • तुलसी को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रिय माना जाता है।
  • नवरात्रि के दौरान तुलसी का घर में होना और उसे जल अर्पित करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है।
  • तुलसी के पत्तों से देवी मां को भोग अर्पित करने से विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

वैज्ञानिक महत्व:

  • तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जिससे यह पर्यावरण को शुद्ध करती है।
  • इसका उपयोग हवन सामग्री में किया जाता है, जिससे वायुमंडल की शुद्धता बढ़ती है।

2. शंख का महत्व

शंख को पवित्र और दिव्य ध्वनि उत्पन्न करने वाला माना गया है। विष्णु पुराण, गरुड़ पुराण और महाभारत में इसके विशेष प्रभाव का उल्लेख मिलता है। शंखध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है।

धार्मिक महत्व:

  • शंख को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
  • नवरात्रि के दौरान शंख बजाने से देवी मां का आह्वान किया जाता है।
  • यह घर में पवित्रता और शुद्धता बनाए रखने में सहायक होता है।

वैज्ञानिक महत्व:

  • शंख बजाने से वायुमंडल में कंपन उत्पन्न होता है, जिससे हानिकारक जीवाणु नष्ट होते हैं।
  • इसकी ध्वनि मानसिक तनाव को कम करने और ध्यान केंद्रित करने में सहायक होती है।

3. कलश का महत्व

कलश शुभता, समृद्धि और मंगल का प्रतीक माना जाता है। स्कंद पुराण और देवी भागवत महापुराण में इसे ब्रह्मांड का प्रतीक बताया गया है। नवरात्रि में कलश स्थापना करने से देवी मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

धार्मिक महत्व:

  • कलश को देवताओं का निवास स्थान माना जाता है, इसलिए इसे पूजन स्थल पर स्थापित किया जाता है।
  • कलश में जल भरकर आम के पत्ते और नारियल रखा जाता है, जो समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
  • यह घर में सुख-समृद्धि और शांति लाने वाला माना जाता है।

वैज्ञानिक महत्व:

  • कलश में जल रखने से वातावरण में नमी बनी रहती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • यह पर्यावरण को शुद्ध और ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक होता है।

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निष्कर्ष

चैत्र नवरात्रि के दौरान तुलसी, शंख और कलश का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टियों से विशेष महत्व है। ये केवल देवी पूजन के आवश्यक तत्व नहीं हैं, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करने और सुख-समृद्धि को बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। अतः नवरात्रि में इनकी पूजा करने से विशेष आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ प्राप्त होते हैं और मां दुर्गा की कृपा सदैव बनी रहती है।

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