‘कॉस्मिक नून’ के बाद बदली रफ्तार : ठंडा होता जा रहा ब्रह्मांड, नहीं बन रहे नये तारे

नई दिल्ली। पिछले करीब दो दशकों में खगोल विज्ञान से जुड़ी रिसर्च यह संकेत दे रही हैं कि ब्रह्मांड अपने सबसे सक्रिय और “सुनहरे दौर” से आगे निकल चुका है। वैज्ञानिकों के अनुसार, अब नए तारों का निर्माण पहले की तुलना में काफी धीमी गति से हो रहा है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि ब्रह्मांड में तारे खत्म हो रहे हैं। अनुमान है कि ब्रह्मांड में कुल तारों की संख्या एक सेप्टिलियन यानी 1 के बाद 24 शून्य तक हो सकती है।

वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि ब्रह्मांड की उम्र लगभग 13.8 अरब वर्ष है। बिग बैंग के कुछ समय बाद ही पहले तारों का जन्म हुआ था। हाल ही में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने हमारी आकाशगंगा मिल्की वे में ऐसे तीन तारे खोजे हैं, जिनकी उम्र करीब 13 अरब साल आंकी गई है।

तारे मुख्य रूप से अंतरिक्ष में मौजूद गैस और धूल के विशाल बादलों से बनते हैं, जिन्हें निहारिका कहा जाता है। गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से गैस के गुच्छे सिकुड़ते हैं, उनका तापमान बढ़ता है और एक प्रोटोस्टार का निर्माण होता है। जब तारे का केंद्र अत्यधिक गर्म हो जाता है, तो हाइड्रोजन परमाणु आपस में मिलकर हीलियम बनाते हैं। इस प्रक्रिया को न्यूक्लियर फ्यूजन कहा जाता है, जिससे ऊर्जा, रोशनी और गर्मी पैदा होती है।

खगोलविदों का अनुमान है कि ब्रह्मांड के लगभग 90 प्रतिशत तारे अपने जीवन के ‘मुख्य क्रम’ चरण में होते हैं, जिसमें हमारा सूर्य भी शामिल है। लेकिन जैसे-जैसे तारे अपने ईंधन का उपयोग करते हैं, वे धीरे-धीरे अपने जीवन के अंत की ओर बढ़ते हैं। कम द्रव्यमान वाले तारे शांत तरीके से बुझते हैं, जबकि भारी तारे सुपरनोवा जैसे विशाल विस्फोट के साथ खत्म होते हैं।

2013 में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में दावा किया गया था कि ब्रह्मांड में बनने वाले कुल तारों में से लगभग 95 प्रतिशत पहले ही जन्म ले चुके हैं। अध्ययन के प्रमुख लेखक डेविड सोब्राल ने कहा था कि आज का ब्रह्मांड पुराने तारों के प्रभुत्व वाला ब्रह्मांड बन चुका है। वैज्ञानिकों के अनुसार तारों के निर्माण का चरम दौर लगभग 10 अरब साल पहले था, जिसे “कॉस्मिक नून” कहा जाता है।

26 लाख से अधिक आकाशगंगाओं का विश्लेषण

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के यूक्लिड और हर्शेल टेलीस्कोप के डेटा पर आधारित हालिया अध्ययन में 26 लाख से अधिक आकाशगंगाओं का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि पिछले 8 अरब वर्षों में आकाशगंगाओं का औसत तापमान लगातार घट रहा है, जो इस बात का संकेत है कि नए तारों का जन्म कम हो रहा है।

कॉस्मोलॉजिस्ट मानते हैं कि पुराने तारों के मरने से निकलने वाली सामग्री से नए तारे बन सकते हैं, लेकिन हर पीढ़ी में उपलब्ध ईंधन की मात्रा घटती जाती है। एक समय ऐसा आएगा जब नया तारा बनना लगभग असंभव हो जाएगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड का अंत “हीट डेथ” या “बिग फ्रीज़” के रूप में हो सकता है, जिसमें ऊर्जा इतनी फैल जाएगी कि ब्रह्मांड ठंडा और अंधकारमय हो जाएगा। हालांकि राहत की बात यह है कि नए तारे अभी भी अगले 10 से 100 ट्रिलियन वर्षों तक बनते रहेंगे। यानी फिलहाल इंसान के पास तारों भरे आसमान को निहारने के लिए बहुत समय है।

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