
Bihar Election Results. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की तेज आंधी के सामने इंडिया ब्लॉक टिक नहीं पाया। गठबंधन के भीतर की खींचतान, टिकट बंटवारे पर असहमति और कई सीटों पर हुए दोस्ताना मुकाबलों ने विपक्ष की स्थिति और कमजोर कर दी। नतीजा यह हुआ कि शाम 5 बजे तक 243 सीटों में से एनडीए 204 पर आगे था, जबकि इंडिया ब्लॉक महज 33 सीटों पर बढ़त बनाए हुए था।
2023 में भाजपा-एनडीए के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से बना INDIA गठबंधन, पहली ही बड़ी परीक्षा में अपने भीतर की बिखराव और अविश्वास की वजह से कमजोर पड़ता दिखा। सीटों के बंटवारे में असंतोष इतना बढ़ा कि कई जगह सहयोगी दलों के उम्मीदवार आमने-सामने उतर आए और कई नेताओं ने बगावत कर चुनाव मैदान में ताल ठोक दी।
कहलगांव सीट इसी बिखराव की मिसाल रही। यहां राजद की रजनीश भारती को 13वें दौर तक 37,047 वोट मिले, जबकि जदयू के शुभानंद मुकेश 61,126 वोटों के साथ आरामदायक बढ़त बनाए हुए थे। वहीं, कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा सिर्फ 4,722 वोट जुटा सके, जिससे विपक्षी वोट स्पष्ट रूप से बंट गए और जदयू की बढ़त मजबूत होती गई।
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सुल्तानगंज में भी इसी तरह की तस्वीर सामने आई। यहां कांग्रेस के ललन कुमार को 1,868 और राजद के चंदन कुमार सिन्हा को 52,244 वोट मिले। विपक्ष के बिखरे वोटों का फायदा जदयू के ललित नारायण मंडल को मिला, जिन्होंने 71,314 वोटों के साथ मजबूत स्थिति बनाए रखी।
राजा पाकर में कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी 29,401 वोटों के साथ पीछे रहीं, जबकि जदयू के महेंद्र राम 57,113 वोटों के साथ आगे रहे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मोहित पासवान को मिले 10,767 वोट विपक्षी आधार को और कमजोर करने का काम कर गए।
अविश्वास ने महागठबंधन को कर दिया खोखला
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि INDIA ब्लॉक के भीतर अविश्वास और स्थानीय महत्वाकांक्षाओं ने गठबंधन को अंदर ही अंदर खोखला कर दिया। राजनीतिक टिप्पणीकार रमाशंकर आर्य ने कहा कि ये दोस्ताना मुकाबले दरअसल घातक साबित हुए। विपक्ष के वोट उसी के हाथों कटते चले गए।
राजद के एक रणनीतिकार ने भी स्वीकार किया कि टिकट बंटवारे और बगावतों ने विपक्ष की जमीन खिसका दी। उन्होंने कहा कि जहां हम मिलकर एनडीए को चुनौती दे सकते थे, वहां हमने खुद ही अपना नुकसान किया।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यदि INDIA गठबंधन के वोट एकजुट होते, तो कई सीटों पर मुकाबला पूरी तरह अलग हो सकता था। लेकिन आंतरिक असहमति ने एनडीए को एक बार फिर बिहार में निर्णायक बढ़त दिला दी।



