
नई दिल्ली। भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि ऐसी घटनाओं को न तो नज़रअंदाज़ किया जा सकता है और न ही इन्हें मीडिया की अतिशयोक्ति या राजनीतिक हिंसा बताकर खारिज किया जा सकता है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अंतरिम सरकार के कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2,900 से अधिक हिंसक घटनाएं दर्ज की गई हैं।
शुक्रवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों समेत अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ चरमपंथी तत्वों द्वारा लगातार दुश्मनी गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने 18 दिसंबर को मैमनसिंह में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की कड़ी निंदा की और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग दोहराई।
जायसवाल ने बताया कि स्वतंत्र स्रोतों के अनुसार अगस्त 2024 में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के गठन के बाद से हत्या, आगजनी, लूटपाट और ज़मीन हड़पने सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2,900 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को केवल मीडिया रिपोर्ट या राजनीतिक हिंसा बताकर टालना गलत होगा।
जायसवाल ने आरोपों को किया खारिज
भारत ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में हाल के दिनों में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान भारत विरोधी बयानबाजी देखी गई है। जायसवाल ने ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज किया, जिनमें बिना सबूत के हत्यारों के भारत भाग जाने की बात कही गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था बनाए रखना वहां की सरकार की जिम्मेदारी है।
भारत और बांग्लादेश के बीच हाल के महीनों में रिश्तों में तनाव देखने को मिला है। दोनों देशों ने एक-दूसरे की आपत्तियों को दर्ज कराने के लिए अपने-अपने राजनयिकों को विदेश मंत्रालय में तलब किया है।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेता तारिक रहमान की 17 साल बाद ब्रिटेन से ढाका वापसी पर प्रतिक्रिया देते हुए जायसवाल ने कहा कि भारत पड़ोसी देश में शांति, स्थिरता और स्वतंत्र, निष्पक्ष व समावेशी चुनावों का समर्थक है। उन्होंने दोहराया कि भारत बांग्लादेश की जनता के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना चाहता है।



