
Aravali : केंद्र सरकार ने अरावली पहाड़ियों के संरक्षण नियमों में ढील दिए जाने के विपक्षी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि अरावली क्षेत्र का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित रहेगा और नाजुक इकोसिस्टम की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है।
समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, भूपेंद्र यादव ने कहा कि अरावली पर किसी भी तरह की छूट नहीं दी गई है। यह पर्वत श्रृंखला दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात- चार राज्यों में फैली हुई है और इससे जुड़ा मामला वर्ष 1985 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
फैलाया जा रहा भ्रम
मंत्री ने “100 मीटर” की परिभाषा को लेकर फैलाई जा रही गलत जानकारियों पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कुछ सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनल इसे पहाड़ी की ऊंचाई के 100 मीटर के रूप में पेश कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता में इसका मतलब पहाड़ी के ऊपर से नीचे तक का फैलाव है। साथ ही, दो पर्वत श्रेणियों के बीच का अंतराल भी अरावली क्षेत्र में शामिल माना जाएगा।
भूपेंद्र यादव ने बताया कि अरावली का कुल क्षेत्रफल लगभग 1.47 लाख वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से केवल करीब 217 वर्ग किलोमीटर (लगभग 2%) क्षेत्र ही खनन योग्य है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, सस्टेनेबल माइनिंग के लिए मैनेजमेंट प्लान और ICFRE की अनुमति अनिवार्य होगी। दिल्ली में अरावली क्षेत्र में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
विपक्ष ने किया विरोध
इस मुद्दे पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अरावली को दिल्ली-NCR के लिए प्राकृतिक ढाल बताते हुए इसके संरक्षण को राजधानी के भविष्य के लिए अनिवार्य बताया है।
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