
अहमदाबाद। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को अहमदाबाद में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के जीवन पर आधारित पुस्तक “चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं” के गुजराती संस्करण का लोकार्पण किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य उपस्थित रहे।
नेतृत्व पद के लिए नहीं, उद्देश्य के लिए होता है
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह पुस्तक आनंदीबेन पटेल के संघर्षों, उपलब्धियों और प्रेरणादायी जीवन यात्रा का विस्तृत चित्रण करती है। उन्होंने कहा कि एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी से लेकर गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री, सांसद और तीन राज्यों की राज्यपाल बनने तक का सफर समाज के लिए प्रेरणादायक है।
शाह ने कहा कि अगर इस पूरी यात्रा को एक वाक्य में कहना हो तो यही कि नेतृत्व पद पाने के लिए नहीं, उद्देश्य पूरा करने के लिए होता है।
संघर्षों से भरी अद्भुत यात्रा
अमित शाह ने बताया कि जिस दौर में बेटियों को पढ़ाने तक में मुश्किलें आती थीं, उस समय आनंदीबेन ने विज्ञान जैसे विषय में एमएससी की पढ़ाई अकेले हॉस्टल में रहकर पूरी की। वह उस कॉलेज हॉस्टल की एकमात्र छात्रा थीं।
उन्होंने कहा कि शिक्षिका, समाजसेविका और फिर राजनीति में हर चरण में आनंदीबेन को संघर्षों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हर चुनौती को अवसर में बदला।
गुजरात संगठन विस्तार में अहम भूमिका
शाह ने बताया कि 2014 में पार्टी संगठन विस्तार के दौरान बूथ स्तर पर मजबूती लाने के जो काम हुए, उनमें आनंदीबेन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। बूथ डॉक्यूमेंटेशन और कमजोर बूथों की पहचान जैसे विचारों ने संगठन को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाया।
राज्यपाल के रूप में उल्लेखनीय कार्य
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सौंपे गए रचनात्मक कार्य – जैसे टीबी उन्मूलन, स्कूली एनरोलमेंट, स्वच्छता, प्राकृतिक खेती – आनंदीबेन ने जिस कुशलता से लागू किए, उससे राज्यों में सामाजिक बदलाव देखने को मिले।
उत्तर प्रदेश में उनके नेतृत्व में NAAC ग्रेडिंग और शिक्षा गुणवत्ता सुधार जैसे बड़े कार्यों ने नई मिसाल कायम की।
नर्मदा परियोजना में उनके योगदान की सराहना
शाह ने कहा कि गुजराज की मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री रहते हुए आनंदीबेन पटेल ने नर्मदा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्यों को तेज गति से पूरा कराया। यह अब भी देश में सबसे कम लागत और सर्वाधिक भूमि अधिग्रहण का रिकॉर्ड है।
पुस्तक में दर्ज हैं प्रेरणादायी प्रसंग
अमित शाह ने कहा कि पुस्तक के हर प्रसंग में आनंदीबेन की दृढ़ता, क्षमता और संवेदनशीलता झलकती है। 85 वर्ष की आयु में भी उनकी ऊर्जा और कार्यकुशलता सभी के लिए प्रेरणा है।
उन्होंने विश्वास जताया कि यह पुस्तक लाखों लोगों को प्रेरित करेगी।
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