Amethi News-भगवान बुद्ध ने अहिंसा,दया,प्रेम और मानवता का संदेश दिया था – सुरेश पासी

Amethi News-बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध की जयंती जगदीशपुर स्थित ए एच इंटर कॉलेज में मनाई गई। डॉक्टर अंबेडकर फाउंडेशन(सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार,नई दिल्ली) इसका आयोजन मित्र संस्था द्वारा कराया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व राज्य मंत्री, विधायक जगदीशपुर सुरेश पासी रहे। विशिष्ट अतिथि जगदीशपुर पूर्व ब्लॉक प्रमुख राजेश विक्रम सिंह रहे,पूर्व राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार एवं विधायक सुरेश पासी ने संबोधित करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध ने अहिंसा दया प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया था जो की जीवन को मुक्ति मार्ग दिखाने का माध्यम है। आगे अपने संबोधन में कहा कि आज एक ऐसा दिन है जब हम उनके मूल्यों और उपदेशों को याद करके दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं गौतम बुद्ध का जन्म 630 ईसा पूर्व में नेपाल के लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में उनका जीवन सुख सुविधाओं से भरा हुआ था वह राजघराने से आते थे इतना सब कुछ होने के बावजूद उन्होंने मोह माया त्याग कर बैरागी धारण किया और उनको कठोर तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ और वह महात्मा बुद्ध बन गए। विशिष्ट अतिथि राजेश विक्रम ने संबोधित करते हुए कहा महात्मा बुद्ध शक के कुल के राजा शुद्धोधन के घर पर जन्म हुआ उनकी मां का नाम महामाया था जो कोली वंश से थी जिनका उनके जन्म के साथ दिन बाद निधन हो गया उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन मा प्रजापति गोतमी ने किया 29 आयु के वश में सिद्धार्थ विवाह हो प्रांत एक मात्र नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्याग कर संसार को जरा मरण दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपथ का मौत त्याग कारवां की ओर चले गए बरसों कठोर साधना के पश्चात बोधगया बिहार में बौद्ध वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए और पूरे विश्व को उपदेश देने का कार्य किया।

ए एच इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य मानसिंह राठौर ने संबोधित करते हुए कहा महात्मा बुद्ध बचपन में ही माता जी का निधन होने के बाद उनका पालन पोषण उनकी मौसी ने किया था जिनका नाम गौतमी था शिशु का नाम सिद्धार्थ दिया गया जिसका अर्थ है वह जो सिद्धि प्राप्त के लिए जन्म हो जन्म समारोह के दौरान साधु दृष्ट आशिक ने अपने पहाड़ के निवास से घोषणा की बच्चा या तो एक महाराज या एक महान पवित्र पथ प्रदर्शक बनेगा जो की महाराजा ने अपने सभी दरबारी एवं कर्मचारियों को कहा कि इनका कोई दुख न होने पाए और ना ही संसार को यह देख पाए इसलिए सभी सुख सुविधा इनको महल में ही होनी चाहिए लेकिन सिद्धार्थ का विवाह हुआ और एक पत्र भी हुआ उसके बाद अपने रथ से बिना किसी को बताएं बाहर चले गए और देखा 100 यात्रा निकाल रही थी अपने सारथी से पूछा यह क्या है उन्होंने कहा यह शिया यात्रा है जब लोगों की मृत्यु हो जाती है तो यह लोग उनको लेकर के जा रहे हैं अंतिम संस्कार के लिए।

सिद्धार्थ बचपन से ही दया करुणा के स्रोत थे इसका परिचय उनके आरंभिक जीवन की अनेक घटनाओं से पता चलता है जैसे घर दौड़ में जब घोड़े दौड़ते हैं और उनके मुंह से झाग निकलता तो उन्हें थक जानकर वहीं रोक देते और जीती हुई बाजी हार जाते हैं खेल में भी सिद्धार्थ को खुद हार जाना पसंद था क्योंकि किसी को हराना और किसी को दुखी होना उनसे नहीं देखा जाता था और उनके हृदय में करुणा और दया कूट-कूट कर भरी थी। जयंती समारोह को भाजपा प्रवक्ता चन्द्रमौलि सिंह, गौरव सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष प्रधान संघ अमरनाथ पासी शेखर तिवारी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश सिंह मंडल ने किया इस अवसर पर प्रमुख रूप से रामदेव पांडे रिटायर्ड अध्यापक,मनोज पासी,दिनेश पासी क्षेत्र पंचायत सदस्य सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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