
Allahabad High Court News-इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आईआईटी कानपुर के मैटीरियल साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आनंद सुब्रमण्यम को बड़ी राहत दी है।
कोर्ट ने रिसर्च स्कॉलर छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में घरेलू जांच कमेटी की प्रक्रिया को नैसर्गिक न्याय का हनन मानते हुए याची के खिलाफ की गई कार्यवाही को अनुच्छेद 14का उल्लंघन करार दिया है।याची के खिलाफ बोर्ड आफ डायरेक्टर का प्रस्ताव, डायरेक्टर का आदेश सहित जांच रिपोर्ट को रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा याची को अपना बचाव करने व गवाहों का परीक्षण व प्रतिपरीक्षण करने का अधिकार है।जिसका पालन नहीं किया गया जिससे पूरी जांच कार्यवाही दूषित हो गयी।
कोर्ट ने आई आई टी कानपुर रूल्स 11(1)को पी ओ एस एच एक्ट के विपरीत होने के कारण शक्ति से परे घोषित किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने आनंध सुब्रमण्यम की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी ने बताया कि यह फैसला पिछले एक साल से सुरक्षित था, जिसे आज अपलोड किया गया है।
मालूम हो कि याची के निर्देशन में शिकायतकर्ता छात्रा पी एच डी कर रही थी।उसने 24जून 22को यौन उत्पीड़न की शिकायत की जिसपर नौ सदस्यीय घरेलू जांच टीम गठित की गई। पीड़िता का बयान लेने के बाद आरोपी प्रोफेसर याची को कारण बताओ नोटिस दी गई।
याची का कहना है कि उसे अपनी सफाई देने व साक्ष्य पेश करने सहित गवाहों की प्रतिपरीक्षा करने का मौका नहीं दिया गया।और न ही उसे अपना पक्ष रखने के लिए विधि सहायक रखने की अनुमति दी गई। नैसर्गिक न्याय का खुला उल्लघंन कर उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई।जिसकी वैधता को चुनौती दी गई थी।
आई आई टी की तरफ से नियमों के हवाले से कहा गया कि घरेलू जांच में किसी पक्ष को वकील रखने की इजाजत नहीं है।
याची ने कहा उसे गैर वकील सहायक भी रखने की अनुमति नहीं दी गई। कोर्ट ने कहा विधिक सहायक रखने की अनुमति न देना उचित नहीं है। इसलिए उस नियम को रद कर दिया।
कोर्ट ने कहा स्थापित कानून हैं कि जो प्रतिबंधित नहीं है तो वह अनुमन्य माना जायेगा। बचाव में सहायक रखने की अनुमति न देना पूरी जांच प्रक्रिया को दूषित करने वाली है। इसलिए नये सिरे से सुनवाई का मौका देकर जांच करने के लिए प्रकरण वापस किया जा रहा है। कोर्ट ने याची को आदेश की तिथि से वेतन के साथ तत्काल बहाल करने का निर्देश दिया है।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा