
Allahabad High Court-फर्जी दस्तावेज के आधार पर नियुक्त अध्यापक की सेवा से बर्खास्तगी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सही करार दिया है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने एकल पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें अध्यापक को सेवा में बनाए रखने का आदेश दिया गया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने हाथरस के सरकारी मॉडल इंटर कॉलेज में कार्यरत सहायक अध्यापक चिदानंद के मामले में सरकार की विशेष अपील स्वीकारते हुए दिया है।राज्य सरकार का कहना था कि चिदानंद ने हाईस्कूल, इंटर और बीएड की फर्जी डिग्रियों के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी। पूर्व में एकल पीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि चिदानंद को सेवा में बनाए रखते हुए वेतन भी दिया जाए। इस आदेश को राज्य सरकार ने इस विशेष अपील में चुनौती दी थी।
कोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयीय शिक्षा संस्थान और डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा ने हलफनामे दाखिल कर स्पष्ट किया कि चिदानंद के प्रमाणपत्र फर्जी हैं। विद्यालयीय शिक्षा संस्थान ने बताया कि हाईस्कूल और इंटर की डिग्रियां उसने जारी नहीं की। अंबेडकर विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि बीएड का जो प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया गया है वह 2009-2010 सत्र का है, जिसे विश्वविद्यालय ने ‘शून्य वर्ष’ घोषित किया था, इसलिए वह प्रमाणपत्र वैध नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां नियुक्ति धोखाधड़ी से प्राप्त की गई हो, वहां न्यायालय का कोई विवेकाधीन अधिकार नहीं चलता। कोर्ट ने कहा कि धोखा और न्याय साथ नहीं चल सकते इसलिए एकल पीठ के आदेश को खारिज करते हुए विशेष अपील स्वीकार करते हुए चिदानंद की नियुक्ति रद्द कर दी। साथ ही वेतन भुगतान का भी आदेश निरस्त कर दिया गया।
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रिपोर्ट- राजेश मिश्रा।