
Allahabad High Court-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वायु सेना की आई ए एफ शिक्षा को इंटरमीडिएट के समान न मानते हुए की गई शिक्षक की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया। किंतु कहा कि याची 67 साल का हो चुका है इसलिए सेवा बहाली का आदेश नही दिया जा सकता।
कोर्ट ने एक अगस्त 2013 से 30 सितंबर 2014 तक किए गये शिक्षण कार्य का 8हफ्ते में वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया,साथ ही काम नहीं वेतन नहीं के सिद्धांत के आधार पर सेवानिवृत्ति तक का वेतन देने के बजाय 12 हफ्ते में याची को बतौर मुआवजा ढाई लाख रूपए का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने बन्ना लाल की याचिका पर दिया।
प्रयागराज निवासी बन्ना लाल 1971 में वायूसेना में भर्ती हुए। सेवा के दौरान ही उन्होंने वायु सेना मुख्यालय नई दिल्ली से आईएएफ शिक्षा टेस्ट पास किया। 1992 में उन्होंने कलकतिया विवि आंध्रप्रदेश से स्नातक किया। 2007 में सेवानिवृत्त होने के बाद बीएड किया। 2010-12 में बीटीसी प्रशिक्षण पूरा किया। और 2013 में प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर चयनित हुए।
2014 में उनकी सेवा इस आधार पर समाप्त कर दी गई कि आईएएफ शिक्षा इंटरमीडिएट के समकक्ष नहीं है। यह आदेश दो रिपोर्टों के आधार पर दिया गया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने कहा एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आई ए एफ का अंक पत्र इंटरमीडिएट का अंक पत्र नहीं है।दूसरी रिपोर्ट पत्रावली पर नहीं है।कहीं नहीं कहा कि आई ए एफ शिक्षा इंटरमीडिएट शिक्षा के समकक्ष नहीं है। इसलिए इसके आधार पर की गई सेवा समाप्ति विधि सम्मत नहीं होने के कारण रद की जाती है।
रिपोर्ट- राजेश मिश्रा।