Air Pollution : ‘वायु प्रदूषण अब दिमाग और शरीर पर हमला’, कांग्रेस नेता ने जताई चिंता

उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण पर कांग्रेस ने जताई चिंता। जयराम रमेश ने कहा – भारत का वायु प्रदूषण अब सिर्फ सांस की बीमारी नहीं, बल्कि दिमाग और शरीर पर हमला बन गया है। केंद्र सरकार से NCAP और NAAQS संशोधन की मांग।

नई दिल्ली। उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के आगमन के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से 400 के बीच बना हुआ है। इस बीच कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि वायु प्रदूषण अब सिर्फ सांस की बीमारी नहीं, बल्कि दिमाग और शरीर पर सीधा हमला बन चुका है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि वायु प्रदूषण एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) में व्यापक संशोधन करने और राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) को तत्काल अपडेट करने की मांग की।

वायु प्रदूषण से 20 लाख लोगों की मौत 

रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “भारत का वायु प्रदूषण संकट अब केवल सांस की बीमारी नहीं रहा यह हमारे दिमाग और शरीर पर सीधा हमला बन गया है।”

उन्होंने ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025’ रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2023 में भारत में लगभग 20 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण हुई, जो 2000 के मुकाबले 43% अधिक है। इनमें से करीब 90 % मौतें हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, मधुमेह और डिमेंशिया जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों (NCDs) से संबंधित थीं।

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कांग्रेस नेता ने बताया कि भारत में वायु प्रदूषण से प्रति एक लाख आबादी पर 186 मौतें दर्ज की जाती हैं, जबकि उच्च आय वाले देशों में यह आंकड़ा सिर्फ 17 प्रति लाख है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण भारत में लगभग 70% सीओपीडी, 33% फेफड़ों के कैंसर, 25% हृदय रोग  और 20% मधुमेह से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है।

भारत में पीएम स्तर मानक से आठ गुना अधिक

रमेश ने यह भी कहा कि पीएम 2.5 के दीर्घकालिक संपर्क से मस्तिष्क को नुकसान और संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट का खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में विश्वभर में 6.26 लाख डिमेंशिया मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी पाई गईं।

उन्होंने बताया कि भारत में पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ मानक से आठ गुना अधिक है। एनसीएपी शुरू हुए सात साल हो चुके हैं, लेकिन प्रदूषण स्तर में कोई खास सुधार नहीं हुआ। “आज देश का हर नागरिक ऐसे क्षेत्र में रह रहा है, जहां पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से बहुत अधिक है,” उन्होंने कहा।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि अब समय आ गया है कि एनसीएपी में मूलभूत संशोधन किए जाएं और एनएएक्यूएस को 2009 के बाद पहली बार अपडेट किया जाए, ताकि देश की आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा मिल सके।

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