
Adani shares: अडानी ग्रुप के शेयरों को लेकर घरेलू और विदेशी निवेशकों का नजरिया एकदम अलग हो गया है। जहां भारतीय म्यूचुअल फंड्स और देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC अडानी ग्रुप की कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं, वहीं विदेशी निवेशक और GQG जैसे बड़े संस्थागत खिलाड़ी अडानी शेयरों से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं।
म्यूचुअल फंड्स का भरोसा बरकरार, सात कंपनियों में बढ़ाई हिस्सेदारी
जून तिमाही में म्यूचुअल फंड्स ने अडानी ग्रुप की 10 में से 7 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। इनमें सबसे ज्यादा निवेश अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस में हुआ, जहां हिस्सेदारी 74 बेसिस पॉइंट बढ़कर 3.19% हो गई है। मार्च में यह 2.45% थी।
अन्य कंपनियों में बढ़ी हिस्सेदारी:
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अडानी ग्रीन एनर्जी: 1.01% से बढ़कर 1.51%
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अडानी पोर्ट्स: 5.02% से बढ़कर 5.42%
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अडानी एंटरप्राइजेज: 2.49% से बढ़कर 2.67%
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अडानी पावर: 1.64% से बढ़कर 1.76%
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अंबुजा सीमेंट्स: 7.81% से बढ़कर 7.91%
हालांकि, एसीसी में म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी 222 बेसिस पॉइंट घटकर 12.07% हो गई है।
LIC का फोकस सीमेंट सेक्टर पर, अंबुजा और ACC में बढ़ाई हिस्सेदारी
LIC ने जून तिमाही में अडानी ग्रुप की सीमेंट कंपनियों में निवेश बढ़ाया है:
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एसीसी में हिस्सेदारी 7.69% से बढ़कर 9.11%
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अंबुजा सीमेंट्स में हिस्सेदारी 5.55% से बढ़कर 6.80%
वहीं, LIC ने अडानी ग्रीन एनर्जी में अपनी हिस्सेदारी 1.36% से घटाकर 1.32% कर दी है। अन्य अडानी कंपनियों में LIC की हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं हुआ।
GQG पार्टनर्स ने घटाई हिस्सेदारी, अंबुजा से किया किनारा
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी में बड़ा निवेश करने वाली GQG Partners ने अब अपनी हिस्सेदारी घटाना शुरू कर दिया है:
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अडानी ग्रीन एनर्जी: 4.49% से घटकर 4.36%
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अडानी पावर: 5.10% से घटकर 5.06%
अंबुजा सीमेंट्स में मार्च तिमाही में GQG के पास 1.42% हिस्सेदारी थी, लेकिन अब इसका नाम शेयरधारकों की लिस्ट से गायब है। माना जा रहा है कि कंपनी ने या तो अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है या यह 1% से नीचे आ गई है।
GQG ने कुछ हिस्सेदारी बरकरार भी रखी है:
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अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस: 5.23%
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अडानी एंटरप्राइजेज: 3.84%
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अडानी पोर्ट्स: 3.93% से बढ़कर 3.96%
विदेशी निवेशकों की बेरुखी: 10 में से 8 कंपनियों में हिस्सेदारी घटी
अडानी ग्रुप की कंपनियों से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने जून तिमाही में दूरी बनाई है। उन्होंने 10 में से 8 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई:
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अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस: 17.58% से घटकर 15.85%
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अंबुजा सीमेंट्स: 8.60% से घटकर 7.43%
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अडानी ग्रीन एनर्जी: 12.45% से घटकर 11.58%
अडानी टोटल गैस, एसीसी, और अडानी एंटरप्राइजेज में भी FIIs ने हिस्सेदारी कम की है।
हालांकि, दो कंपनियों में FIIs ने हिस्सेदारी बढ़ाई:
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अडानी पोर्ट्स: 13.43% से बढ़कर 13.53%
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अडानी पावर: 12.36% से बढ़कर 12.46%
विदेशी निवेशकों की सतर्कता के पीछे की वजह
विश्लेषकों का मानना है कि FIIs द्वारा हिस्सेदारी घटाने का मुख्य कारण अडानी ग्रुप की स्थिति नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक तनाव, भारतीय कंपनियों की धीमी आय वृद्धि और मुनाफावसूली की रणनीति हो सकती है।