
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार सर्दियों की छुट्टियों के दौरान वेकेशन बेंच ने काम किया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत स्वयं इस अवकाश पीठ का हिस्सा बने और क्रिसमस व नववर्ष की छुट्टियों के दौरान जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े अहम मामलों सहित तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत वाले प्रकरणों की सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट 22 दिसंबर से 2 जनवरी 2026 तक अवकाश पर था और 5 जनवरी से नियमित रूप से कार्य शुरू करेगा। हालांकि, इस अवधि में पहली बार सर्दियों की छुट्टियों के दौरान वेकेशन बेंच गठित की गई। इससे पहले केवल लंबी गर्मी की छुट्टियों में ही अवकाश पीठ बैठती रही है।
CJI सूर्यकांत, जिन्होंने 24 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी, ने पहले ही संकेत दिया था कि न्यायिक समय के बेहतर उपयोग के लिए नए मापदंड अपनाए जाएंगे। 22 दिसंबर को छुट्टियों के पहले ही दिन CJI सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की वेकेशन बेंच ने 17 जरूरी मामलों की सुनवाई की, जिनमें आपराधिक और दीवानी दोनों प्रकार के मामले शामिल थे।
29 दिसंबर को CJI सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की अवकाश पीठ ने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा से जुड़े स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई की और पूर्व आदेशों पर रोक लगाई। कोर्ट ने कहा कि परिभाषा से जुड़ी कई “महत्वपूर्ण अस्पष्टताओं” को दूर करना आवश्यक है।
इसी दौरान न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाश पीठ ने 2017 उन्नाव बलात्कार मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को दी गई राहत पर रोक लगा दी। वर्ष के अंतिम दिन न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने ऑनलाइन सुनवाई भी की।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान एक नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) भी जारी किया, जिसका उद्देश्य कोर्ट प्रबंधन को बेहतर बनाना और न्यायिक प्रक्रिया को तेज करना है।



