
India Diplomacy. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया मिडिल ईस्ट दौरे और उसी दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की इजराइल यात्रा को भारत की सोची-समझी और संतुलित कूटनीतिक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। एक ओर प्रधानमंत्री जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान जैसे इस्लामिक देशों का दौरा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर भारत के शीर्ष कूटनीतिज्ञ इजराइल में उच्चस्तरीय बातचीत कर रहे हैं। यह समन्वित प्रयास भारत के पश्चिम एशिया नीति में नए आत्मविश्वास को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 दिसंबर से तीन देशों की यात्रा की शुरुआत जॉर्डन से की। जॉर्डन पश्चिम एशिया का एक अहम जियोपॉलिटिकल हब है, जिसकी सीमाएं इराक, सीरिया, इजराइल और फिलिस्तीन से लगती हैं। इस लिहाज से जॉर्डन क्षेत्रीय स्थिरता और रणनीतिक संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बाद पीएम इथियोपिया और ओमान का दौरा कर रहे हैं। ओमान भारत का पारंपरिक मित्र रहा है और दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते को लेकर ठोस प्रगति की संभावना जताई जा रही है।
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब मिडिल ईस्ट ऊर्जा संकट, व्यापारिक प्रतिस्पर्धा, सुरक्षा चुनौतियों और भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रहा है। भारत इन परिस्थितियों में अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों को सुरक्षित करने के साथ-साथ क्षेत्रीय शांति में एक जिम्मेदार भागीदार के रूप में उभरने की कोशिश कर रहा है।
विदेश मंत्री पहुंचे इजरायल
इसी दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इजराइल पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अपने समकक्ष विदेश मंत्री से मुलाकात की। यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी और नेतन्याहू के बीच हालिया फोन वार्ता के बाद हुई, जिसे पूर्व नियोजित एक्शन प्लान के अमल के रूप में देखा जा रहा है।
जयशंकर ने इजराइल में ‘गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट’, ‘बिजनेस टू बिजनेस’ और ‘पीपल टू पीपल’ कनेक्ट को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत इजराइल के साथ रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देने के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षा, तकनीक, व्यापार और नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई गति देने पर सहमति बनी है।
आतंकवाद के मुद्दे पर भी भारत ने स्पष्ट संदेश दिया। जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच पर हनुक्का उत्सव के दौरान हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि भारत और इजराइल आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति साझा करते हैं।
ओआईसी देश भारत के साथ
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह कूटनीति पाकिस्तान द्वारा इस्लामिक देशों को भारत के खिलाफ खड़ा करने की कोशिशों को भी कमजोर करती है। कई ओआईसी सदस्य देश अब भारत के साथ खुले तौर पर सहयोग बढ़ा रहे हैं।
कुल मिलाकर, एक ही समय में इस्लामिक देशों और इजराइल के साथ सक्रिय संवाद भारत की ‘स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी’ और वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है। यह दौरा आने वाले समय में मिडिल ईस्ट में भारत के प्रभाव को और मजबूत कर सकता है।
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