
मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क पर पुलिस ने गुरुवार तड़के अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की। ‘मिनी जामताड़ा’ कहलाने वाले देवसेरस, मोडसेरस, मंडौरा और नगला मेव समेत कई गांवों में चार आईपीएस अफसरों के नेतृत्व में 400 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने एक साथ छापा मारा। सुबह करीब 5 बजे 30 से अधिक गाड़ियों में पहुंची पुलिस ने किसी को भनक न लगे, इसके लिए वाहन गांवों से बाहर ही रोक दिए और टीमें खेतों की पगडंडी से भीतर दाखिल हुईं।
अचानक हुई इस रेड से गांवों में अफरा-तफरी मच गई। कई लोग सो रहे थे, लेकिन जैसे ही पुलिस की मौजूदगी का पता चला, संदिग्ध युवक इधर-उधर भागने लगे। कुछ खेतों में छिप गए, तो कुछ घरों में दुबक गए। पुलिस ने खेतों, गलियों और घरों में फैले ऐसे लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पकड़ा। करीब छह घंटे चली इस कार्रवाई में पुलिस 42 संदिग्धों को हिरासत में लेकर रवाना हुई, हालांकि माना जा रहा है कि 120 से अधिक शातिर ठग खेतों के रास्ते राजस्थान सीमा की ओर भाग निकले।
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में प्रदेश के एक प्रभावशाली नेता के बैंक अकाउंट को साइबर ठगों ने हैक कर करोड़ों रुपये निकाल लिए थे। शिकायत के बाद ही पुलिस ने इस पूरे नेटवर्क की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू की और कई दिनों की निगरानी के बाद संयुक्त ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। मथुरा में साइबर अपराधों के खिलाफ यह हाल-फिलहाल की सबसे बड़ी कार्रवाई बताई जा रही है।
घर-घर हुई तलाशी
पुलिस ने चारों गांवों को एक साथ घेरकर 26 इंस्पेक्टर, 4 सीओ और पीएसी के जवानों के साथ घर-घर तलाशी ली। इस दौरान 7 बाइक, भारी मात्रा में संदिग्ध दस्तावेज, फर्जी कागजात, कई मोबाइल फोन, सिमकार्ड और डिजिटल उपकरण बरामद किए गए। कई मोबाइल फोन में बैंकिंग ऐप, फिशिंग लिंक्स, ठगी से जुड़े चैट और रिकॉर्डिंग जैसे पुख्ता साक्ष्य मिले हैं।
पुलिस के अनुसार, यह इलाका साइबर अपराधियों का एक मजबूत ठिकाना बन चुका है। यहां से फिशिंग, हैकिंग, स्पैम कॉल, फर्जी कस्टमर केयर नंबर, केवाईसी अपडेट के नाम पर ठगी, ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग और सेक्सटॉर्शन जैसे अपराध संचालित होते हैं। ग्रामीणों की पढ़ाई भले ही 5वीं से 10वीं तक सीमित हो, लेकिन साइबर जाल में फंसाने की उनकी तकनीकी दक्षता पेशेवर हैकरों जैसी बताई जाती है।
शाम तक चली छापेमारी
छापेमारी सुबह पांच बजे शुरू होकर शाम पांच बजे तक चली। पुलिस ने लगभग 300 घरों की तलाशी ली। एसपी ग्रामीण सुरेश चंद्र रावत, एसपी क्राइम अवनीश मिश्रा, एसपी सुरक्षा राजकुमार अग्रवाल और एसपी यातायात मनोज कुमार यादव पूरे अभियान के दौरान टीमें निर्देशित करते रहे।
एसपी देहात सुरेश चंद्र रावत ने बताया कि छापेमारी से पहले कई दिनों तक गांवों की गतिविधियों पर गहराई से नजर रखी गई थी। पकड़े गए संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है और उनके नेटवर्क, बैंक खातों, कॉल डिटेल्स और डिजिटल ट्रांजैक्शंस की जांच की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस कार्रवाई से साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकता है।
पुलिस ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में इस पूरे साइबर गिरोह के खिलाफ और भी बड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
क्यों कहलाता है ‘मिनी जामताड़ा’
गोवर्धन क्षेत्र में लगभग 15-20 किमी के दायरे में बसे 7-8 गांव साइबर अपराध के हब के रूप में कुख्यात हैं। देवसेरस इनमें सबसे बड़ा सेंटर माना जाता है। पुलिस का कहना है कि इस इलाके की सबसे बड़ी ताकत तीन राज्यों की सीमा का नजदीक होना है – एक ओर राजस्थान, दूसरी ओर हरियाणा और तीसरी तरफ उत्तर प्रदेश।
इस त्रिकोणीय स्थिति के कारण ठग किसी भी दिशा में भागकर राज्य की सीमा पार कर लेते हैं, जिससे उन्हें पकड़ने में कठिनाई आती है। यही वजह है कि इसे ‘यूपी का जामताड़ा’ कहा जाने लगा है।
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