‘कोडीनयुक्त कफ सिरप के अंतरराष्ट्रीय रैकेट का खुलासा’, अब तक 128 एफआईआर, 32 गिरफ्तार

MP-राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद जांच ने UP में कोडीन कफ सिरप के बड़े अंतरराष्ट्रीय रैकेट का खुलासा किया। 1.5 लाख शीशियां जब्त, 32 गिरफ्तार।

Lucknow News. मध्य प्रदेश और राजस्थान में अक्तूबर महीने के दौरान कोडीनयुक्त कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत के बाद शुरू हुई जांच ने उत्तर प्रदेश में एक बड़े अंतरराष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश कर दिया है। यूपी सरकार द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के तहत 18 अक्तूबर को सोनभद्र में पुलिस ने एक ट्रक पकड़ा, जिसमें चिप्स और नमकीन के पैकेटों के नीचे कोडीनयुक्त कफ सिरप की भारी खेप छिपाई गई थी।

इस सुराग के आधार पर 4 नवंबर को गाजियाबाद के मछली गोदाम परिसर से डेढ़ लाख शीशियां जब्त की गईं। अब तक 128 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और 32 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने आईजी की अगुवाई में एसआईटी गठित कर दी है।

एफ़एसडीए सचिव रोशन जैकब के अनुसार, यह सिरप दवा के रूप में नहीं, बल्कि नशे के तौर पर बेचा जा रहा था। जांच में सामने आया कि माल वैध तरीके से हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब और बद्दी स्थित फैक्ट्रियों से निकलता था, लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर इसे फर्जी कंपनियों के नाम पर दिखाकर गायब कर देते थे। लाखों शीशियां यूपी में दुकानों तक पहुंचने से पहले ही नेपाल और बांग्लादेश भेज दी जाती थीं, जहां इसकी कीमत भारत से तीन गुना तक मिलती थी।

इन पर हुई कार्रवाई

डीजीपी राजीव कृष्ण ने बताया कि तीन बड़े सुपर स्टॉकिस्ट – सहारनपुर के विभोर राणा, वाराणसी के शुभम जायसवाल और सौरभ त्यागी पर कार्रवाई हुई है। सौरभ त्यागी की गिरफ्तारी से पता चला कि पूरे नेटवर्क का केंद्र वाराणसी था, और सप्लाई चंदौली, जौनपुर, गाज़ीपुर, आज़मगढ़ सहित कई जिलों तक फैली थी।

एसटीएफ की कार्रवाई में बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को गिरफ्तार किया गया है, जबकि स्टॉकिस्ट शुभम जायसवाल अब भी फरार है और उसके दुबई में होने की जानकारी सामने आई है। अब तक 279 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया है और कई फर्मों के लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया चल रही है। केंद्रीय नारकोटिक्स, एफएसडीए और अन्य राज्यों की एजेंसियों के इनपुट पर हिमाचल, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड में भी छापेमारी हुई है।

कोडीन एक मादक ओपिओइड

चिकित्सक विशेषज्ञ बताते हैं कि कोडीन एक मादक ओपिओइड है, जिसकी अधिक मात्रा शरीर में मॉर्फ़िन में बदलकर घातक असर डाल सकती है। 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इसके उपयोग पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोक है।

मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगाया है। पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने इसे भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण बताते हुए जांच को तेज करने की मांग की है।

उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि राज्य में इस सिरप से किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन पुलिस और औषधि विभाग की संयुक्त कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोडीनयुक्त कफ़ सिरप की अवैध तस्करी बहु-राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला एक संगठित नेटवर्क था, जिसका अब बड़ा हिस्सा बेनकाब हो चुका है।

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