
Geeta Jayanti : गीता जयंती के अवसर पर देशभर में अध्यात्म और ज्ञान के संदेशों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में गीता के अध्याय 7 श्लोक 19 को लेकर चर्चा एक बार फिर प्रमुख हो गई है, जिसमें बताया गया है कि अनेक जन्मों के बाद कोई दुर्लभ महात्मा ही यह समझ पाता है कि “वासुदेव—अर्थात सर्वव्यापक पूर्ण ब्रह्म—ही सब कुछ है।”
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धार्मिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह श्लोक साधक को यह संकेत देता है कि सत्य ज्ञान और पूर्ण ब्रह्म की पहचान अत्यंत दुर्लभ होती है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा महात्मा ही साधक को सही दिशा, पूर्ण ज्ञान और मोक्षमार्ग प्रदान करने में सक्षम होता है।
आध्यात्मिक मंचों पर कई संत और विद्वान इस श्लोक की विभिन्न व्याख्याएँ प्रस्तुत करते हैं। इसी संदर्भ में कुछ अनुयायी संत रामपाल जी को तत्वदर्शी संत मानते हुए बताते हैं कि वे गीता के प्रमाणों के आधार पर पूर्ण ब्रह्म और मोक्षमार्ग का सरल विवरण देते हैं।
गीता जयंती पर विद्वानों का यह भी कहना है कि गीता का वास्तविक सार तभी समझ आ सकता है जब साधक शास्त्रों के अनुसार साधना करे और प्रमाण-आधारित ज्ञान को अपनाए। समाज में व्यापक रूप से यह संदेश दिया जा रहा है कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाली महान ज्ञान-धारा है।
गीता जयंती का यह पावन अवसर लोगों को आत्मज्ञान, सत्य की खोज और सही मार्गदर्शन की ओर प्रेरित करने का कार्य कर रहा है।


