
Lucknow/Mumbai. उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आधार कार्ड को अब जन्म प्रमाणपत्र या जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में मान्य न करने का आदेश जारी किया है। अधिकारियों का कहना है कि आधार कार्ड में जन्म प्रमाणपत्र संलग्न नहीं होता, इसलिए यह जन्मतिथि का कानूनी प्रमाण नहीं माना जा सकता।
यूपी सरकार का आदेश: आधार को जन्म प्रमाणपत्र मानना अवैध
उत्तर प्रदेश के योजना विभाग ने सभी विभागों को सख्त निर्देश दिए हैं कि आधार को जन्म प्रमाणपत्र के रूप में स्वीकार करने की प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से बंद की जाए। विशेष सचिव अमित सिंह बंसल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि आधार को जन्म प्रमाणपत्र मानना अब अवैध होगा और इस नियम का सभी विभाग पालन करें।
महाराष्ट्र में भी आधार-आधारित जन्म प्रमाणपत्र रद्द होंगे
महाराष्ट्र सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि आधार के आधार पर विलंबित जन्म प्रमाणपत्र जारी नहीं किए जाएंगे। जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम 2023 लागू होने के बाद जो भी प्रमाणपत्र केवल आधार के आधार पर बने हैं, उन्हें रद्द किया जाएगा।
राज्य के राजस्व विभाग ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि ऐसे प्रमाणपत्रों को मंजूरी देने वालों पर कार्रवाई होगी। 16-बिंदु सत्यापन गाइडलाइन के तहत पहले जारी आदेशों की जिला कलेक्टर स्तर पर पुनः समीक्षा की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची में पहचान के लिए आधार को स्वीकार किया
यह निर्णय ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग मामले में बिहार की मतदाता सूची में शामिल करने के लिए आधार को पहचान पत्र के रूप में मान्य किया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि विशेष तीव्र संशोधन प्रक्रिया के दौरान आधार को 11 अन्य वैध दस्तावेजों के साथ पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाए।
यूपी में अवैध प्रवासियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलाधिकारियों को अवैध प्रवासियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताएँ हैं। राज्य सरकार ने हर जिले में अस्थायी निरुद्ध केंद्र बनाने के निर्देश दिए हैं, जहाँ विदेशी नागरिकता वाले अवैध प्रवासियों को सत्यापन तक रखा जाएगा और उसके बाद उन्हें उनके मूल देश भेजा जाएगा। नेपाल सीमा खुली होने के कारण नेपाली नागरिकों का आवागमन बिना प्रतिबंध जारी रहेगा, जबकि अन्य देशों के लोगों के लिए जांच अनिवार्य होगी।
विशेष मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया जारी
देश में SIR प्रक्रिया के तहत 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष संशोधन अभियान चल रहा है। अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी।
प्रशासनिक सुधार का कदम, पर नागरिकों के लिए चुनौती भी
आधार कार्ड को जन्म प्रमाणपत्र के स्थान पर अस्वीकार करने का निर्णय प्रशासनिक शुद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार है। वर्षों से आधार को विभिन्न दस्तावेजों के लिए सार्वभौमिक प्रमाण की तरह प्रयोग किया जाता रहा, जबकि यह केवल पहचान का दस्तावेज़ है, जन्म का प्रमाण नहीं।
हालाँकि, इस फैसले से लाखों लोगों को दिक्कतें भी आ सकती हैं, खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर तबके को, जिनके पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है और वे जन्मतिथि के प्रमाण के लिए आधार पर निर्भर रहते हैं।
सरकारों के लिए यह आवश्यक होगा कि जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल, सुलभ और समयबद्ध बनाई जाए, ताकि आम नागरिकों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।
महाराष्ट्र द्वारा पहले से जारी आधार-आधारित प्रमाणपत्रों को रद्द करने और अधिकारियों पर कार्रवाई की चेतावनी से स्पष्ट है कि प्रशासन रिकॉर्ड की सटीकता को लेकर गंभीर है।
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कुल मिलाकर, यह निर्णय कानूनी और प्रशासनिक रूप से सही है, लेकिन नागरिक सुविधा के समुचित इंतज़ाम के साथ ही यह कदम पूर्णतः प्रभावी और सार्थक बन सकेगा।



