
ED Raids : मेडिकल कॉलेजों से जुड़े एक बड़े कथित भ्रष्टाचार प्रकरण की जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को देश के 10 राज्यों में एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 15 ठिकानों पर की गई।
सूत्रों के अनुसार, ईडी की टीमें जिन परिसरों पर तलाशी ले रही हैं, उनमें सात मेडिकल कॉलेज कैंपस और एफआईआर में नामित कई निजी व्यक्तियों से जुड़े ठिकाने शामिल हैं। यह छापेमारी सीबीआई द्वारा 30 जून को दर्ज किए गए उस मामले से संबंधित है, जिसमें मेडिकल शिक्षा से जुड़े नियामक ढांचे में हेरफेर कर अनियमित तरीके से मान्यता दिलाने, निरीक्षण प्रक्रिया प्रभावित करने और रिश्वत लेने-देने के गंभीर आरोप हैं।
सीबीआई ने जिन 36 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, उनमें पूर्व यूजीसी चेयरमैन और वर्तमान में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (मुंबई) के चांसलर डी.पी. सिंह का नाम भी शामिल है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) और नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के कई अधिकारी तथा निजी मेडिकल संस्थानों से जुड़े प्रमुख पदाधिकारी भी आरोपित हैं।
मामले में जिन संस्थानों के नाम सामने आए हैं, उनमें रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च तथा उसके प्रमुख रवि शंकर जी महाराज, उदयपुर की गीतांजलि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मयूर रावल और इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया शामिल हैं।
एफआईआर के अनुसार, संदिग्ध अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण, मान्यता और नवीनीकरण से संबंधित गोपनीय फाइलों तक अनधिकृत पहुंच उपलब्ध कराई। आरोप है कि निजी संस्थानों को आगामी निरीक्षण की जानकारी पहले से देकर उन्हें फर्जी व्यवस्था करने जैसे घोस्ट फैकल्टी दिखाना, फर्जी मरीज भर्ती करना आदि में सहायता की गई। इसके बदले भारी धनराशि कथित रूप से बिचौलियों के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को पहुंचाई जाती थी।
अवैध कमाई का एक हिस्सा हनुमान मंदिर के निर्माण में लगाया
जांच में यह भी सामने आया कि गुड़गांव के वीरेंद्र कुमार की पहुंच मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड (एमएआरबी) के तत्कालीन फुल-टाइम सदस्य जीतू लाल मीणा तक थी। आरोप है कि कुमार विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से रिश्वत राशि इकट्ठा कर मीणा तक पहुंचाता था, जिसने कथित अवैध कमाई का एक हिस्सा राजस्थान में लगभग 75 लाख रुपये की लागत से एक हनुमान मंदिर के निर्माण में लगाया।
एफआईआर के अनुसार, कुमार का नेटवर्क दक्षिण भारत तक फैला था और वह आंध्र प्रदेश के कदिरी निवासी बी. हरि प्रसाद के साथ मिलकर काम करता था। प्रसाद, हैदराबाद के अनकम राम बाबू तथा विशाखापत्तनम के कृष्णा किशोर के साथ मिलकर कथित तौर पर फर्जी फैकल्टी उपलब्ध कराने और नियामकीय मंजूरी दिलाने की व्यवस्था करता था।
एक मामले में कृष्णा किशोर द्वारा गायत्री मेडिकल कॉलेज के निदेशक से कथित तौर पर 50 लाख रुपये लेने का उल्लेख भी एफआईआर में किया गया है, जिसका हिस्सा बाद में कुमार को भेजा गया। ईडी द्वारा की जा रही छापेमारी जारी है और मामले में आगे और खुलासे होने की संभावना है।
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