
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की अप्रत्याशित और प्रचंड जीत ने भारतीय राजनीति में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं। बीजेपी, जेडीयू और सहयोगी दलों ने जिस बड़े अंतर से जीत दर्ज की है, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व के लिए एक बड़ी राजनीतिक बढ़त के रूप में देखा जा रहा है। 2024 लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के बाद यह जीत बीजेपी को नई ऊर्जा प्रदान करने वाली मानी जा रही है।
बीते एक साल में महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद बिहार में भी मिली सफलता ने बीजेपी की उस धारणा को मजबूत किया है कि पार्टी का जनाधार कम नहीं हो रहा, बल्कि और रफ्तार पकड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, बिहार का परिणाम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व को मज़बूत करने वाला है। उनके अनुसार, यह नतीजा अल्पमत वाली केंद्र सरकार की स्थिति को भी बल देगा और विपक्ष के हमले कमजोर पड़ेंगे।
उनका मानना है कि हाल के चुनाव नतीजों से यह साफ़ है कि बीजेपी की राष्ट्रीय स्तर की पकड़ ढीली नहीं पड़ी है। महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली और अब बिहार के नतीजों ने यह संकेत दिया है कि बीजेपी का प्रभाव कम होने के बजाय और बढ़ा है।
बिहार नतीजे बीजेपी के आत्मविश्वास को बढ़ाएंगे
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बिहार नतीजे बीजेपी के आत्मविश्वास को बढ़ाएंगे, विशेषकर असम, तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में। यहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं। हालांकि कुछ का यह मानना है कि राष्ट्रीय राजनीति अपनी ही गति से चलती है, किसी एक राज्य का नतीजा पूरे देश का मिजाज नहीं बदल सकता है।
विश्लेषकों के अनुसार, महिला मतदाता एनडीए के लिए एक ठोस आधार बनकर उभरी हैं। अब राजनीतिक दलों को महिला वोट को एक स्वतंत्र और प्रभावशाली वर्ग के रूप में देखना होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतीश कुमार का वेलफेयर मॉडल अब अन्य राज्यों में भी दोहराया जा सकता है।
बिहार की करारी हार ने इंडिया गठबंधन को मुश्किल स्थिति में ला खड़ा किया है। अब विपक्ष के लिए यह अस्तित्व का सवाल बन सकता है, जिससे गठबंधन और मज़बूत होकर एकजुट हो सकता है। हालांकि खासकर नेतृत्व और रणनीति को लेकर गठबंधन पहले से मौजूद आंतरिक विवादों से जूझ सकता है।
अब यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को आगे बढ़ाने का सवाल
राम मंदिर और धारा 370 के बाद बीजेपी के सामने अब यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को आगे बढ़ाने का सवाल है। विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी इसे राष्ट्रीय स्तर पर नहीं तो राज्यों के जरिए आगे बढ़ाने की कोशिश तेज कर सकती है। बीजेपी मीडिया नैरेटिव के जरिए यह संदेश दे सकती है कि पार्टी अपने अंतिम वैचारिक एजेंडे पर काम कर रही है।
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बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल पर सभी की निगाहें हैं, जहां बीजेपी इस जीत से मिले मनोबल को भुनाने की कोशिश करेगी। हालांकि वहां भाषा, जनसांख्यिकी और टीएमसी के मजबूत नेटवर्क जैसी चुनौतियां भी उसके सामने रहेंगी। कुल मिलाकर, बिहार नतीजों ने भारतीय राजनीति में बीजेपी की स्थिति को और मज़बूत किया है और विपक्ष को नई रणनीति बनाने की चुनौती दे दी है।



