Dance Drama:वास्तविक अनुभूति करा गई “कृष्णामृत” नृत्य नाटिका

भक्ति रस में डूबी आलोक रंगोत्सव की द्वितीय संध्या

Dance Drama:विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान, प्रयागराज द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय “आलोक स्मृति रंगोत्सव” की दूसरी संध्या रवींद्रालय प्रेक्षागृह, गोल्डेन जुबिली स्कूल, जॉर्ज टाउन में नृत्य और संगीत की अनुपम छटा से सराबोर रही।
इस अवसर पर प्रस्तुत नृत्य नाटिका “कृष्णामृत” ने राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम, विरह, मिलन और रासलीला को सजीव कर दिया।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘भानु सिंह पदावली’ पर आधारित इस नाटिका का नाट्य एवं नृत्य रूपांतरण तथा निर्देशन सायोनी भट्टाचार्या द्वारा किया गया। भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों के सुंदर संगम से सजी यह प्रस्तुति भक्ति और प्रेम के भावों से अनुप्राणित रही। मोहक भावाभिव्यक्ति, मनोहारी नृत्य संरचना, सुमधुर संगीत और उत्कृष्ट प्रकाश संयोजन ने दर्शकों के हृदय को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरे कार्यक्रम के दौरान दर्शकों की तालियाँ कलाकारों का उत्साह बढ़ाती रहीं।

सायोनी भट्टाचार्या की कलात्मक परिकल्पना और गहन नाट्य-संगीत दृष्टि के अनुरूप मंचित यह नृत्य नाटिका भारतीय शास्त्रीय नृत्य की बहुआयामी संवेदना का सशक्त उदाहरण रही। इससे पूर्व वे “चंडालिका”, “परिशोध” और “मायर खेला” जैसी चर्चित प्रस्तुतियों में भी अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुकी हैं।

‘कृष्णामृत’ प्रस्तुति में कला, भक्ति और अध्यात्म का ऐसा सुंदर समन्वय देखने को मिला, जिसने दर्शकों को ईश-प्रेम की अनुभूति करा दी।

मंच पर प्रस्तुति देने वाले कलाकारों में अहोना भट्टाचार्या, सान्वी बासु, गरिमा कुशवाहा, निवेदिता दासगुप्ता, श्रेया घोष, नंदिनी तिवारी, यशस्वी मिश्रा, नित्या तिवारी, पूर्वी केशरवानी और अंशिका शुक्ला शामिल रहीं।
मंच व्यवस्था में आशिका शुक्लाशुभी मिश्रा ने भूमिका निभाई।
कॉस्ट्यूम — अनुपम घोष, मणिका मिश्रा, सेट डिज़ाइन — अनुपम घोष, पार्श्व स्वर — प्रतिभा मिश्रा एवं अहोना भट्टाचार्या, प्रकाश संयोजन — सुजॉय घोषाल का रहा।
मूल आलेख भानु सिंह पदावली पर आधारित था और नाट्य रूपांतरण, परिकल्पना व निर्देशन सायोनी भट्टाचार्या का रहा।

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