
Indian Railway. रेल यात्रियों को स्वच्छ और आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से रेलवे बोर्ड ने कचरा प्रबंधन और निपटान के लिए नई व्यापक नीति जारी की है। इसके तहत सभी क्षेत्रीय रेलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि ऑन-बोर्ड हाउसकीपिंग सर्विस (ओबीएचएस) और पेंट्री कार के कर्मचारी यात्रा के दौरान ट्रेनों में उत्पन्न कचरे का व्यवस्थित संग्रह और निपटान सुनिश्चित करें।
यात्रियों के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान
रेलवे बोर्ड के निर्देशों के अनुसार, ट्रेनों में सफाईकर्मी और खानपान कर्मी अब निर्दिष्ट स्टेशनों पर सीलबंद थैलों में कचरे का सुरक्षित निपटान करेंगे। इस व्यवस्था का मकसद ट्रेनों के अंदरूनी हिस्सों और रेलवे स्टेशनों की स्वच्छता को और मज़बूत बनाना है।
कर्मचारियों के साथ ‘संवाद’ अभियान
बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय रेलों को एक महीने का विशेष ‘संवाद अभियान’ चलाने के निर्देश दिए हैं। इसमें वरिष्ठ पर्यवेक्षक, वाणिज्यिक और यांत्रिक विभागों के अधिकारी ऑन-बोर्ड कर्मचारियों से सीधे संवाद करेंगे। इस कार्यक्रम के माध्यम से कर्मचारियों को स्वच्छ भारत मिशन में उनकी भूमिका के महत्व से अवगत कराया जाएगा और उनके सामने आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी।
इन सत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण, निर्देशात्मक वीडियो और जागरूकता सामग्री भी प्रदर्शित की जाएगी। प्रत्येक ज़ोन और मंडल से फीडबैक रिपोर्ट एकत्र की जाएगी, जिसे 10 दिनों के भीतर रेलवे बोर्ड को भेजा जाएगा।
नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई
रेलवे बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि ओबीएचएस और पेंट्री कार सेवाओं के लाइसेंसधारियों को इन दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। किसी भी प्रकार का उल्लंघन अनुबंध का गंभीर उल्लंघन माना जाएगा और दोषी सेवा प्रदाताओं के खिलाफ सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी।
पहले के निर्देशों को मज़बूती देने की पहल
यह नया आदेश जुलाई 2024 में जारी किए गए निर्देशों का विस्तार है, जिसमें मार्ग-आधारित कचरा निपटान प्रणाली की रूपरेखा दी गई थी। उस व्यवस्था में कचरे के उत्पादन का आकलन, निर्दिष्ट स्टेशनों पर बैगों की न्यूनतम संख्या तय करना और इन आँकड़ों को सीआरआईएस की सीएमएम प्रणाली में दर्ज करना शामिल था।
भारतीय रेलवे की नई दिशा
रेलवे बोर्ड की यह पहल सिर्फ स्वच्छता तक सीमित नहीं है, यह यात्रियों के लिए बेहतर आतिथ्य, जिम्मेदार सेवा और सतत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम है। ‘संवाद’ पहल के माध्यम से भारतीय रेलवे ने यह दिखाया है कि तकनीकी सख़्ती और मानवीय संवेदना साथ-साथ चल सकती हैं।
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