
Delhi Blast. दिल्ली ब्लास्ट ने न केवल सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि आतंकवाद अब ‘सूट-टाई और स्टेथोस्कोप’ वाले चेहरे में बदल रहा है। उच्च शिक्षित पेशेवर जब वैचारिक ब्रेनवॉश के शिकार होकर आतंक के औजार बनते हैं, तो खतरा और गहरा हो जाता है। लाल किले के पास हुआ यह धमाका भले ही एक कार में सीमित रहा हो, लेकिन उसकी गूंज पूरे देश के सुरक्षा तंत्र में सुनाई दे रही है। यह गूंज उस नई चुनौती की है, जो अब किताबों, डेटा और लैब के रास्ते भारत की अखंडता को निशाना बना रही है।
डॉ. शाहीन के भाई को हिरासत में लिया गया
दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके के बाद लगातार सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हुई है। इसी क्रम में फरीदाबाद से गिरफ्तार डॉ. शाहीन के भाई डॉ. परवेज़ को भी यूपी एटीएस ने हिरासत में लिया है। सूत्रों के मुताबिक, यूपी एटीएस डॉ. परवेज को दिल्ली लेकर गई है, जहां एनआईए अब उससे पूछताछ करेगी। डॉ. परवेज़ फरीदाबाद में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पकड़ी गई डॉ. शाहीन का सगा छोटा भाई है। डॉ. शाहीन लगातार अपने भाई डॉक्टर परवेज के संपर्क में थी, जिसके बाद मंगलवार की शाम को यूपी एटीएस ने परवेज को हिरासत में लिया था।
इससे पहले एटीएस ने डॉ. परवेज के ठिकाने पर रेड की थी। परवेज ने 4 नवंबर को आखिरी बार अपने पिता को फोन किया था। बताया जा रहा है कि चार नवंबर से ही एटीएस और दिल्ली की खुफिया एजेंसियों आंतकी गतिवधियों में लिप्त लोगों की धरपकड़ शुरू की थी, जिसके बाद उसने एक सप्ताह पहले 6 नवंबर को इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया था।
डॉ. परवेज इस यूनिवर्सिटी में के मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहा था। इस्तीफा देने के बाद से ही वो ग़ायब हो गया था। डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी के बाद से ही उसने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक एटीएस को उसके घर से छह मोबाइल फोन, एक इंटरनेशनल सिम कार्ड और सीक्रेट डिस्क समेत कई संदिग्ध सामान भी बरामद हुए हैं। ये सारे फोन कीपैड वाले हैं, जिनका वो इस्तेमाल किया करता था।
डॉ. शाहीन और डॉ. परवेज के बड़े भाई शोएब ने इस मामले में उनका नाम पर आने पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात पर यकीन नहीं होता है। हमारे भाई-बहन इस तरह के नहीं है। डॉ. शाहीन बचपन से पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। परिवार को चार साल से उससे कोई ताल्लुक़ नहीं है। पारिवारिक विवाद की वजह से वो यहां आती-जाती नहीं थी। हमें नहीं लगता है कि वो ऐसा कर सकते हैं।
मुजम्मिल की बहन अरेस्ट
वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉ. मुजम्मिल शकील गनी की बहन डॉ. असमत शकील को हिरासत में लिया है। असमत शकील (30 साल) ने जनवरी 2025 में बांग्लादेश से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। इनके पिता का नाम शकील अह गनई है, जो पुलवामा के रहने वाले हैं। डॉ. मुजम्मिल को पहले ही जैश-ए-मोहम्मद और एजीयूएच आतंकवादी मॉड्यूल में गिरफ्तार किया जा चुका है।
दिल्ली कार ब्लास्ट की जांच के सिलसिले में पुलिस ने डॉ. मुजम्मिल शकील गनी के मोबाइल फोन के डेटा की जांच की, जिसमें खुलासा हुआ कि उसने इस साल जनवरी में लाल किला क्षेत्र की कई बार टोह ली थी। पुलिस को इस बात का भी शक है कि उसने 26 जनवरी को ऐतिहासिक स्मारक लाल किला को निशाना बनाने की साजिश रची थी, लेकिन उस समय क्षेत्र में गहन गश्त के कारण उसकी प्लानिंग विफल हो गई।
आरोपी उमर नबी की कार हरियाणा के फार्महाउस से बरामद
पुलिस ने लाल रंग की फोर्ड इको स्पोर्ट कार को बरामद कर लिया है। इस कार का नंबर डीएल 10-सीके-0458 है। पुलिस को यह कार हरियाणा के खंडावली गांव में एक फार्महाउस से मिली है। यह कार लाल किले के पास हुए बम धमाके के संदिग्ध उमर नबी की है।
पुलिस ने कई राज्यों में इस कार की तलाश के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया था, क्योंकि पुलिस को पता चला था कि यह कार उमर नबी के नाम पर रजिस्टर है। सूत्रों के अनुसार, यह कार उमर नबी के दोस्त के एक फार्महाउस में मिली है और पुलिस दोस्त को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
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फॉरेंसिक और बैलिस्टिक एक्सपर्ट गाड़ी की तलाशी ले रहे हैं। जब लाल किले के पास धमाका हुआ तो उमर नबी आई20 कार को चला रहा था, वह कार पुलवामा के एक प्लंबर के नाम पर रजिस्टर थी। पुलिस ने प्लंबर को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। पुलिस का कहना है कि लाल किले के पास जब कार में विस्फोट हुआ, उस समय उसमें 60 किलो से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट था।
घायलों से मिले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बम धमाके में घायल सभी पीड़ितों से मिलने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल पहुंचे। घायलों से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा कि इस घटना की साजिश रचने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।
देश में इंटेलिजेंस सर्विस या कानूनी व्यवस्था कैसी : आदित्य ठाकरे
दिल्ली धमाके पर शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने गृह मंत्रालय से स्पष्टीकरण की मांग की है। आदित्य ठाकरे ने कहा कि क्या था वो? अभी तक गृह मंत्रालय से कुछ पता ही नहीं चला है। वो बम ब्लास्ट था या सीएनजी का ब्लास्ट था, क्या था? कोई स्पष्टीकरण नहीं है। लोगों की जान तो चली गई है। दिल्ली जैसे शहर में लाल क़िले के आसपास ऐसे हो सकता है, तो आज कौन सुरक्षित है? देश में इंटेलिजेंस सर्विस हो, कानूनी व्यवस्था कैसी है? इस पर सवाल तो उठते ही हैं।
दिल्ली में 11 घंटे घूमती रही कार
दिल्ली पुलिस के अनुसार, धमाके वाली हुंडई आई 20 कार ने दिल्ली में प्रवेश करने के बाद करीब 11 घंटे तक शहर के 13 थाना क्षेत्रों और 6 चेकपोस्टों से होकर सफर किया, लेकिन किसी एजेंसी को इसकी भनक नहीं लगी। यह कार बदरपुर बॉर्डर से दिल्ली में दाखिल हुई और शाम 6:52 बजे लाल किले के पास सुभाष मार्ग पर विस्फोट हो गया।
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इस हादसे में 13 लोगों की मौत हुई और कई गंभीर रूप से घायल हुए। सुरक्षा विश्लेषकों ने इसे खुफिया तंत्र की बड़ी चूक बताया है। पूर्व रॉ प्रमुख ए.एस. दुलत ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर से समय पर अलर्ट दिल्ली पहुंचता तो यह घटना टाली जा सकती थी। वहीं, विश्लेषक प्रवीण स्वामी के अनुसार, दिल्ली में 10 घंटे तक विस्फोटक कार का घूमना इंटेलिजेंस फेल्योर की गंभीर निशानी है।
करीब 500 लोगों से पूछताछ
इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी और उससे जुड़े नेटवर्क पर शिकंजा कसा जा रहा है। कुलगाम, शोपियां, बारामूला और गांदरबल जिलों में 200 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी हुई है। 400 से अधिक तलाशी अभियान चलाए गए और लगभग 500 लोगों से पूछताछ की गई है। माना जा रहा है कि इन अभियानों का मकसद आतंकवाद के सामाजिक और वैचारिक ढांचे को जड़ से खत्म करना है।



