
Heart Attack Prevention – आज के दौर में हार्ट अटैक सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। अब 30 से 40 साल की उम्र में भी लोग दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव, खराब खानपान, स्मोकिंग, शराब और नींद की कमी दिल पर सीधा असर डालती है। खास बात यह है कि कई बार दिल की बीमारी बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे बढ़ती रहती है, और अचानक हार्ट अटैक का रूप ले लेती है।
डॉक्टरों ने बताए 3 ज़रूरी टेस्ट
कार्डियक सर्जन डॉक्टर बताते हैं कि दिल की बीमारियों को समय रहते पहचानने के लिए हर व्यक्ति को कुछ ज़रूरी टेस्ट ज़रूर करवाने चाहिए। इनमें सबसे पहला है लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बताता है। अगर यह स्तर बढ़ा हुआ हो, तो हार्ट ब्लॉकेज या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
दूसरा टेस्ट है ईसीजी (ECG), जो हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापता है। इससे यह पता चलता है कि कहीं दिल की धड़कन अनियमित तो नहीं है या ब्लॉकेज के संकेत तो नहीं हैं।
तीसरा और बेहद अहम टेस्ट है ट्रेडमिल टेस्ट (TMT) इसमें व्यक्ति को चलने या दौड़ने के दौरान मॉनिटर किया जाता है, ताकि देखा जा सके कि तनाव या एक्सरसाइज की स्थिति में दिल कैसे काम करता है। यह टेस्ट शुरुआती स्तर पर हृदय रोग पकड़ने में मदद करता है।
छोटे बदलाव, बड़ा असर
कार्डियक एक्सपर्ट्स का कहना है कि हार्ट अटैक से बचने के लिए सिर्फ जांच ही नहीं, बल्कि जीवनशैली में छोटे बदलाव भी बेहद जरूरी हैं। हर दिन कम से कम 30 मिनट की वॉक या योग करें, तली-भुनी और जंक फूड से दूरी बनाएं। धूम्रपान और शराब पूरी तरह छोड़ दें। साथ ही, पर्याप्त नींद लें और तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन का सहारा लें।
समय पर जांच से टल सकता है बड़ा खतरा
डॉक्टरों का मानना है कि हार्ट अटैक अचानक नहीं होता, बल्कि यह वर्षों की लापरवाही का परिणाम होता है। अगर आप अपने शरीर के छोटे संकेतों पर ध्यान दें और समय-समय पर ये तीन टेस्ट करवा लें, तो दिल की बीमारी को शुरुआती स्टेज में ही रोका जा सकता है।



