
Ayodhya News. भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में अब ‘रावण की प्रतिमा’ को लेकर नई बहस छिड़ गई है। योगी सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना रामायण थीम पार्क के तहत गुप्तारघाट पर जहां प्रभु श्रीराम ने जल समाधि ली थी, वहीं करीब 25 फुट ऊंची रावण की मूर्ति राम-रावण युद्ध मुद्रा में स्थापित की जा रही है।
पर्यटन विभाग का कहना है कि यह मूर्ति रामायण के युद्ध प्रसंग का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य केवल धार्मिक कथा का दृश्यात्मक पुनर्प्रस्तुतीकरण करना है। विभाग का दावा है कि इससे अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को “रामायण युद्ध” के भव्य दृश्य का दर्शन होगा, जिससे धार्मिक पर्यटन को नया आयाम मिलेगा। लेकिन सवाल उठ रहा है – क्या राम की नगरी में रावण की मूर्ति लगाने की ज़रूरत थी?
संत समाज और कई हिंदू संगठन इस निर्णय पर आपत्ति जता रहे हैं। उनका कहना है कि गुप्तारघाट प्रभु श्रीराम के परमधाम गमन का स्थल है, जहां ‘रावण’ की उपस्थिति श्रद्धा की भावना को ठेस पहुंचाती है। संतों का तर्क है कि रावण युद्ध का पात्र जरूर है, पर उसकी प्रतिमा उस भूमि पर नहीं लगाई जानी चाहिए, जो राम की लीला का अंतिम साक्षी रही है।
यह भी पढ़ें – Bihar Election 2025 : चुनाव के बीच तेज प्रताप यादव को मिली Y-Plus सिक्योरिटी, केंद्र का बड़ा फैसला
संतों ने यह भी सवाल उठाया कि यदि रामायण युद्ध दिखाने का उद्देश्य ही है तो रामायण के अन्य प्रसंगों जैसे वनवास, सीता हरण या हनुमान की लंका यात्रा को केंद्र में क्यों नहीं रखा गया?
पर्यटन विभाग के अनुसार, पार्क में भगवान राम, लक्ष्मण, सुग्रीव, हनुमान, विभीषण, अंगद सहित रामायण के प्रमुख पात्रों की भव्य मूर्तियां भी लगाई जा रही हैं। निर्माण कार्य लखनऊ की आर्ट्स विंग्स कंपनी कर रही है।
आकर्षण के नाम पर खड़ा किया जा रहा विवाद
अधिकारी कहते हैं कि “यह पार्क अयोध्या के धार्मिक पर्यटन को विश्वस्तर पर स्थापित करेगा। लेकिन दूसरी ओर, धार्मिक संगठनों का कहना है- अयोध्या की पहचान राम से है, रावण से नहीं।
अब सवाल यह है कि क्या श्रद्धा की नगरी में आकर्षण के नाम पर विवाद खड़ा किया जा रहा है? या फिर यह संस्कृति और पर्यटन के बीच संतुलन का एक नया प्रयोग है – जिसका उत्तर रामनगरी के लोग ही देंगे।
यह भी पढ़ें – ‘जब भारतीय युवक ने की अमेरिकी महिला की मदद’, दिल छू लेने वाली कहानी आई सामने
अयोध्या में रावण की मूर्ति-भक्ति का प्रतीक या विवाद की बीज? जवाब शायद उसी गुप्तारघाट की पवित्र मिट्टी में छिपा है, जहां से भगवान राम ने धरती को विदा कहा था।
(अयोध्या से समीर शाही की रिपोर्ट)



