भारतीय मूल के जोहरान ममदानी बने न्यूयॉर्क के मेयर, पीएम मोदी की विचारधारा पर उठाए सवाल

न्यूयॉर्क। न्यूयॉर्क शहर के नए मेयर के रूप में ज़ोहरान ममदानी की ऐतिहासिक जीत न सिर्फ अमेरिकी राजनीति के लिए बल्कि भारतीय मूल के समुदाय के लिए भी चर्चा का विषय बन गई है। 34 वर्षीय ममदानी अमेरिका के सबसे बड़े शहर के पहले भारतीय मूल और मुस्लिम मेयर हैं। उनकी जीत को डोनाल्ड ट्रंप के दौर की ध्रुवीकृत राजनीति में प्रगतिशील सोच की जीत के रूप में देखा जा रहा है।

लेकिन ममदानी की पहचान केवल उनकी राजनीतिक उपलब्धि तक सीमित नहीं है। उनकी भारतीय विरासत और विचारधारा भी सुर्खियों में है। अपनी विजय रैली में जहां उन्होंने बॉलीवुड गीत ‘धूम मचाले’ पर जश्न मनाया, वहीं अपने भाषण में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के “नियति से भेंट” वाले प्रसिद्ध भाषण का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि आज रात हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ा चुके हैं।

ममदानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि वह बहुलतावादी भारत के दृष्टिकोण से पले-बढ़े हैं, जबकि भाजपा का हिंदुत्व-केंद्रित दृष्टिकोण केवल कुछ खास भारतीयों के लिए स्थान छोड़ता है। उन्होंने मोदी को फासीवादी करार दिया, एक शब्द जिसका इस्तेमाल उनकी माँ, प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक मीरा नायर ने भी किया है।

बीजेपी ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

भारत में भाजपा नेताओं ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमीत साटम ने कहा कि शहर का नेतृत्व किसी खान को स्वीकार नहीं किया जाएगा, जबकि अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत ने ममदानी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह भारतीय से ज़्यादा पाकिस्तानी लगते हैं।

ममदानी ने अपने भाषणों में कहा कि वह समावेशी भारत के विचार से जुड़े हैं और विश्व राजनीति में मोदी को अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप और इज़राइल के बेंजामिन नेतन्याहू जैसे नेताओं के साथ जोड़ते हैं। उनके अभियान में भारतीय और दक्षिण एशियाई संस्कृति का रंग खूब दिखाई दिया – बॉलीवुड संगीत से लेकर धार्मिक स्थलों पर जनसंपर्क तक। अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने उनकी इस शैली की सराहना करते हुए कहा कि ममदानी ने दिखाया कि अपनी जड़ों को अपनाकर भी अमेरिकी राजनीति में सफल हुआ जा सकता है।

प्रवासी और श्रमिक वर्ग की आवाज़ बनकर काम करेंगे

नीतिगत रूप से, ममदानी ने किराया नियंत्रण, मुफ्त बस सेवा और सस्ती सरकारी किराना दुकानों की वकालत की। उन्होंने कहा कि वह न्यूयॉर्क में प्रवासी और श्रमिक वर्ग की आवाज़ बनकर काम करेंगे। ममदानी का कहना है कि उनकी जीत सिर्फ एक राजनीतिक जीत नहीं, बल्कि बहुलता और विविधता के प्रति एक वादा है।

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