
New Delhi. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने शनिवार को राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आयोजित व्याख्यान में कहा कि किसी भी राष्ट्र की असली ताकत उसके शासन तंत्र में निहित होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शासन ही किसी राष्ट्र की शक्ति का वास्तविक आधार है, और इसके अभाव में कोई भी व्यवस्था, चाहे वह लोकतंत्र हो या साम्राज्य, अधिक समय तक नहीं टिक सकती।
सरदार वल्लभभाई पटेल की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में डोभाल ने दक्षिण एशिया के बदलते राजनीतिक परिदृश्य और भारत की सुरक्षा चिंताओं पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों में हाल में हुए राजनीतिक बदलाव खराब शासन व्यवस्था के परिणाम हैं।
शासन की गुणवत्ता अब केवल घरेलू मसला नहीं
डोभाल ने कहा कि दक्षिण एशिया में शासन की गुणवत्ता अब केवल घरेलू मसला नहीं रही, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और भू-राजनीतिक संतुलन का प्रमुख कारक बन गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि कमजोर शासन सबसे पहले संस्थानों को कमजोर करता है, फिर सामाजिक विश्वास को, और अंततः राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करता है।
एनएसए ने कहा कि भारत इस समय एक ऑर्बिटल शिफ्ट से गुजर रहा है – यानी पारंपरिक शासन ढांचों से आगे बढ़कर एक नई दिशा में प्रवेश कर रहा है। यह बदलाव केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि वैचारिक और रणनीतिक भी है।
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उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की एकीकृत भारत की दृष्टि आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। आज जरूरत है कि शासन को केवल नौकरशाही का औजार न मानकर, राष्ट्रीय सुरक्षा का कवच बनाया जाए।
सुशासन ही किसी राष्ट्र को सुरक्षित और समृद्ध बनाता
डोभाल ने दक्षिण एशिया के हालात का उदाहरण देते हुए कहा कि श्रीलंका का आर्थिक संकट, बांग्लादेश की अस्थिरता और नेपाल की बार-बार की राजनीतिक उठापटक यह दिखाती है कि जब शासन में स्थिरता और निष्ठा की कमी होती है, तो विदेशी प्रभाव और असंतोष बढ़ता है। यह भारत के लिए सिर्फ पड़ोसी देशों की समस्या नहीं, बल्कि सीमा-पार सुरक्षा चुनौती भी है।
उन्होंने कहा कि भारत को अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में शासन-सुधार को एक मुख्य तत्व बनाना चाहिए। डोभाल ने कहा कि सुशासन ही किसी राष्ट्र को सुरक्षित और समृद्ध बनाता है ।
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डोभाल ने इस बात पर बल दिया कि सुशासन का अर्थ केवल कानून-व्यवस्था या प्रशासनिक दक्षता नहीं, बल्कि नीतिगत स्थिरता, संस्थागत विश्वसनीयता और नागरिक सहभागिता है।
अंत में उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल प्रशासन, पारदर्शिता, रक्षा सुधार और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन इस परिवर्तन की सफलता नीतिगत अनुशासन और संस्थागत मजबूती पर निर्भर करेगी।
डोभाल के शब्दों में सुशासन ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है, और यह संदेश न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।



