हाईकोर्ट की नियुक्ति शक्तियों पर बहस, सुप्रीम कोर्ट बोला – उद्देश्य अधिकार छीनना नहीं, एकरूपता लाना

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका उद्देश्य हाईकोर्ट की नियुक्ति शक्तियाँ छीनना नहीं, बल्कि प्रक्रिया में एकरूपता लाना है। संविधान पीठ ने सुनवाई जारी रखी।

New Delhi.  सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण संवैधानिक बहस हुई, जिसमें देशभर की निचली अदालतों की वरिष्ठता और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ के सामने हुई।

सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। हाईकोर्ट की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस मसले में सुप्रीम कोर्ट को “हैंड्स ऑफ” नीति अपनानी चाहिए, क्योंकि संविधान के तहत यह अधिकार हाईकोर्ट्स के दायरे में आता है। उन्होंने दलील दी कि संविधान के भाग छह, अध्याय छह में हाईकोर्ट्स को अपने अधीनस्थ न्यायाधीशों और अदालतों पर पूर्ण नियंत्रण का अधिकार प्राप्त है।

सीजेआई गवई का स्पष्ट रुख

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी स्थिति में हाईकोर्ट की नियुक्ति शक्तियों को प्रभावित नहीं करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया – हमारा उद्देश्य अधिकार छीनना नहीं, बल्कि प्रक्रिया में एकरूपता लाना है।

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अगले महीने पदभार संभालने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने भी कहा कि अदालत केवल सामान्य दिशा-निर्देश तय करेगी, यह किसी की वरिष्ठता या पद पर सीधा असर नहीं डालेगी।

हाईकोर्ट की स्वायत्तता पर बहस

वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने दिशा-निर्देशों और लंबित याचिकाओं के कारण यह मामला अब काफी आगे बढ़ चुका है। उन्होंने आग्रह किया कि अगर यह प्रयोग और गलती की प्रक्रिया है, तो इसे हाईकोर्ट्स पर छोड़ दिया जाए, ताकि वे अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन कर सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि जिला न्यायाधीशों के लिए पदोन्नति के अवसर पहले से मौजूद हैं। सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भी उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा देकर ऊपर जा सकते हैं। द्विवेदी ने पदोन्नति और भर्ती प्रक्रिया की तुलना अमरनाथ यात्रा से करते हुए कहा कि कोई कठिन लेकिन छोटा रास्ता चुनता है, कोई लंबा लेकिन आसान। मंज़िल दोनों की एक ही है – हाईकोर्ट की कुर्सी।

एक समान नीति की दिशा में संकेत

पीठ ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में जिला न्यायपालिका में पदोन्नति, प्रत्यक्ष भर्ती और लैटरल एंट्री के लिए एक समान नीति की ज़रूरत हो सकती है।

सुनवाई जारी रहेगी

पंजाब-हरियाणा और पश्चिम बंगाल हाईकोर्ट के वकीलों ने भी अपने-अपने आंकड़े पेश किए, जिनसे पता चला कि अब निचली न्यायपालिका और वकीलों के बीच योग्यता का अंतर तेजी से कम हो रहा है। इस महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अगले सप्ताह भी सुनवाई जारी रखेगी।

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यह मामला तय करेगा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों की सीमाएँ कहाँ तक हैं, और भविष्य में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और समान होगी।

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