
Malaysia News-विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यह सम्मेलन 26 से 28 अक्टूबर तक “समावेशीपन और स्थिरता” विषय पर आयोजित हुआ। अपने संबोधन में जयशंकर ने व्यापार, खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भारत का दृष्टिकोण साझा किया।
विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया एक जटिल दौर से गुजर रही है, जहां आपूर्ति श्रृंखला की विश्वसनीयता, बाजारों तक पहुंच, तकनीकी प्रतिस्पर्धा और ऊर्जा व्यापार जैसी चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि आज सिद्धांतों का चयनात्मक पालन हो रहा है, लेकिन बदलाव का अपना महत्व होता है और विश्व को नई परिस्थितियों के अनुरूप ढलना ही होगा।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि तकनीक, डिजिटलीकरण, बाजार का आकार और मानव संसाधन वैश्विक चर्चा के केंद्र में हैं। बहुध्रुवीयता न केवल स्थायी है बल्कि निरंतर विकसित भी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व में जारी संघर्षों ने खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित किया है। भारत ने गाजा शांति योजना का स्वागत किया है और यूक्रेन संघर्ष के शीघ्र समाधान की आशा व्यक्त की है।
आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह वैश्विक शांति और विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा है और दुनिया को इसके प्रति “शून्य सहनशीलता” का रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) की भूमिका और भविष्य की दिशा को लेकर भारत के समर्थन की पुन: पुष्टि की।
सम्मेलन से इतर जयशंकर ने कई देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात भी की। उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो, मलेशिया के मोहम्मद हाजी हसन, सिंगापुर के विवियन बालाकृष्णन, दक्षिण कोरिया के चो ह्यून, थाईलैंड के सिहासक फुआंगकेतकेओ और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन से द्विपक्षीय वार्ता की। इन बैठकों में पारस्परिक सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता और रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करने पर बल दिया गया।
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रिपोर्ट – शाश्वत तिवारी



