SIR को लेकर चुनाव आयोग कल कर सकता है बड़ा ऐलान

चुनाव आयोग सोमवार को राष्ट्रव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तारीखों का ऐलान करेगा। 20 साल बाद देशभर में मतदाता सूची अपडेट की जाएगी।

New Delhi. चुनाव आयोग सोमवार को मतदाता सूचियों के राष्ट्रव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तारीखों की घोषणा करेगा। अधिकारियों ने बताया कि यह घोषणा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू तथा विवेक जोशी द्वारा शाम 4:15 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में की जाएगी।

हालांकि आयोग के मीडिया आमंत्रण में विषय का स्पष्ट उल्लेख नहीं था, लेकिन सूत्रों ने पुष्टि की है कि यह प्रेस ब्रीफिंग SIR कार्यक्रम से ही संबंधित होगी। माना जा रहा है कि यह प्रक्रिया 1 नवंबर से शुरू हो सकती है और इसमें असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल होंगे, जहां वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके अलावा कुछ अन्य राज्यों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है। वहीं, जिन राज्यों में फिलहाल स्थानीय निकाय चुनाव या अन्य विशेष परिस्थितियाँ हैं, उन्हें इस चरण से बाहर रखा जा सकता है।

चुनाव आयोग का यह विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर) एक व्यापक प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूचियाँ नए सिरे से तैयार की जाती हैं। इसमें प्रत्येक पंजीकृत मतदाता को नया गणना फॉर्म भरकर जमा करना होता है। यह प्रक्रिया सामान्य संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) से अलग है, जिसमें केवल नाम जोड़ने या हटाने का काम होता है।

मतदाता सूचियों में त्रुटियों की बढ़ गई संख्या

आयोग के अनुसार, देश में मतदाता सूचियों का इतने बड़े पैमाने पर पुनरीक्षण लगभग दो दशकों बाद किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, बिहार में अंतिम एसआईआर वर्ष 2003 में हुआ था। आयोग ने अपने 24 जून के आदेश में कहा था कि बीते 20 वर्षों में शिक्षा, आजीविका और तेज शहरीकरण के कारण लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन में भारी वृद्धि हुई है। इसके चलते मतदाता सूचियों में डुप्लिकेट प्रविष्टियों और त्रुटियों की संख्या बढ़ गई है।

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आयोग ने यह भी कहा है कि कई मतदाता पुराने पते से नाम हटाए बिना नए पते पर पंजीकरण करा लेते हैं। इसके अलावा, समय के साथ कुछ विदेशी नागरिकों के नाम भी सूचियों में दर्ज होने की आशंका जताई गई है। इसी कारण आयोग ने इस बार राष्ट्रव्यापी स्तर पर गहन पुनरीक्षण का निर्णय लिया है।

बता दें कि इस वर्ष बिहार में हुए SIR के दौरान 68.66 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए, जिससे कुल मतदाता संख्या में लगभग 6 प्रतिशत की कमी आई। आयोग का मानना है कि यह प्रक्रिया भविष्य में मतदाता सूचियों को अधिक पारदर्शी और त्रुटिहीन बनाने में मदद करेगी।

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