Chhath Mahaparva: खरना के साथ शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जला उपवास, हरिद्वार में भक्तिमय माहौल

Chhath Mahaparva: भगवान सूर्य की आराधना के महापर्व छठ पूजा का शुभारंभ शनिवार को नहाय-खाय के साथ हुआ, और रविवार को खरना पूजन के साथ व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू कर दिया। सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय पर्व का समापन पारण के साथ होगा।

तीर्थनगरी हरिद्वार के सभी गंगा घाटों पर छठ पूजा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। घाटों की सफाई और सजावट का कार्य पूरा हो चुका है। रंगीन रोशनी से घाट जगमगा रहे हैं और छठ गीतों से वातावरण भक्तिमय हो गया है।

आचार्य पंडित उद्धव मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष छठ पर्व शोभन, रवि एवं सिद्ध योग के उत्तम संयोग में प्रारंभ हुआ है। रविवार को रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगी। सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सुकर्मा योग में सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार को त्रिपुष्कर और रवियोग के मंगलकारी संयोग में उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ व्रत की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है। आचार्य भोगेंद्र झा ने बताया कि छठी मैया की कृपा व्रतियों पर विशेष रूप से बरसती है। यह पर्व शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है। सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है, क्योंकि सूर्य की किरणों में रोग नाशक क्षमता होती है।

वरिष्ठ समाजसेवी एवं भाजपा नेत्री रंजीता झा ने बताया कि नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल और आंवला की चासनी का विशेष महत्व है। खरना के प्रसाद में ईख के रस और गुड़ के सेवन से त्वचा रोग और नेत्र पीड़ा में राहत मिलती है। यह प्रसाद तेजस्विता, निरोगिता और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है।

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उन्होंने यह भी कहा कि छठ पर्व स्वस्थ जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। मौसम में फास्फोरस की कमी से उत्पन्न रोगों से बचाव के लिए गुड़ का सेवन लाभकारी होता है, जो छठ पर्व के दौरान प्रमुख रूप से किया जाता है। हरिद्वार में घरों से लेकर घाटों तक सजावट की गई है और श्रद्धालु पूरे उत्साह के साथ पर्व में भाग ले रहे हैं।

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