
New York: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में बताया कि 2010 और 2021 के बीच भारत ने 41.5 करोड़ से अधिक लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। भारत ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के हमारे प्रयासों के परिणामस्वरूप स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी 46% तक पहुंच गई, जबकि 2023 में महिला श्रमबल की भागीदारी करीब 37% तक पहुंच चुकी थी, जो अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका में निरंतर वृद्धि को दर्शाता है।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी. हरीश ने यूएन की दूसरी समिति की आम बहस में ‘पांच साल से 2030 तक – सतत विकास के लिए बहुपक्षीय समाधान’ विषय पर भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य देते हुए यह जानकारी दी। हरीश ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा भू-राजनीतिक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, ऋण संकट और बढ़ती असमानताओं ने कड़ी मेहनत से अर्जित विकास लाभों को नष्ट कर दिया है, इसलिए इस मोड़ पर बहुपक्षवाद का महत्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। भारत का मानना है कि केवल एकजुटता और सहयोग के माध्यम से ही हम सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में निर्णायक प्रगति कर सकते हैं।
यूएन स्थित भारत के स्थायी मिशन के अनुसार, भारत ने 2025 में अपनी तीसरी स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा (वीएनआर) प्रस्तुत की, जिसमें सतत विकास लक्ष्यों को बड़े पैमाने पर और समावेशिता के साथ लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला गया। भारत की ओर से गरीबी कम करने और महिला उत्थान से जुड़ी जानकारी साझा करने के बाद हरीश ने अपने संबोधन में कहा स्वास्थ्य के क्षेत्र में, आयुष्मान भारत पहल ने 50 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान किया है, जबकि राष्ट्रीय पोषण मिशन ने मातृ एवं शिशु पोषण में सुधार को लक्षित किया है। शिक्षा के क्षेत्र में, भारत ने प्राथमिक स्तर पर लगभग सार्वभौमिक नामांकन और माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा में लगातार बढ़ती भागीदारी हासिल कर ली है। ये उपलब्धियां किसी को भी पीछे न छोड़ने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।
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भारतीय राजनयिक ने कहा कि ये उपलब्धियां नवाचार और व्यापकता के कारण संभव हुई हैं। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से, भारत ने सेवाओं की अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित की है। उन्होंने कहा भारत की विकास यात्रा ग्लोबल साउथ के साथ साझेदारी में गहराई से निहित है। 2017 में स्थापित भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष आज 63 विकासशील देशों में 90 परियोजनाओं को सहायता प्रदान करता है, जिनमें अल्प विकसित देशों, स्थलरुद्ध विकासशील देशों और लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।