
Parents beware children activities: आजकल कई टीनएजर बच्चे रिश्तेदारों से बातचीत करने से कतराते हैं और फैमिली फंक्शन से दूरी बना लेते हैं। शुरुआत में यह आदत मामूली लग सकती है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह भविष्य में एक बड़ी समस्या का रूप ले सकती है।
मेहमानों से दूरी, कमरे में अकेलापन
थेरेपिस्ट ऋरि त्रिवेदी के अनुसार, आजकल बच्चे घर आए मेहमानों से बात करने में असहज महसूस करते हैं। वे केवल नमस्ते कहकर अपने कमरे में चले जाते हैं और घंटों फोन में व्यस्त रहते हैं। फैमिली फंक्शन में जाने से भी वे बचते हैं और पढ़ाई या प्रोजेक्ट का बहाना बनाते हैं।
फोन और दोस्तों तक सीमित हो रहा है मेल-जोल
बच्चों को अब सिर्फ अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद है। वे उन्हीं से खुलकर बात करते हैं और परिवार के अन्य सदस्यों से दूरी बनाए रखते हैं। यह व्यवहार धीरे-धीरे उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग कर सकता है।
पढ़ाई के साथ सोशल स्किल्स भी जरूरी
रिसर्च बताती है कि जिन बच्चों को अकेलापन, डिप्रेशन या पढ़ाई में कठिनाई होती है, उनमें सोशल स्किल्स कमजोर हो जाती हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके सामाजिक विकास पर भी ध्यान दें। यह उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।
बच्चों को सिखाएं संवाद और व्यवहार
थेरेपिस्ट का मानना है कि बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि मेहमानों से कैसे बात करें, उन्हें पानी ऑफर करें और हल्की-फुल्की बातचीत करें। यह आदतें उन्हें इमोशनली मजबूत बनाती हैं और भविष्य में बेहतर सामाजिक संबंध बनाने में मदद करती हैं।
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पेरेंट्स के लिए सुझाव
- बच्चों को फैमिली फंक्शन में शामिल होने के लिए प्रेरित करें
- उन्हें रिश्तेदारों से बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें
- सोशल स्किल्स को उतना ही महत्व दें जितना पढ़ाई को
- बच्चों के व्यवहार में बदलाव को नजरअंदाज न करें