
Hindi Diwas 2025: उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंसेज (यूपीएसआईएफएस) में हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान और लोकायतन के संयुक्त तत्वावधान में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ. जी.के. गोस्वामी (आईपीएस) थे, जबकि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. हरिओम विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
साहित्य और कला का महत्व
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसमें डॉ. जी.के. गोस्वामी, डॉ. हरिओम, लोकायतन की अध्यक्षा डॉ. मालविका हरिओम, संस्थान के उप निदेशक श्री चिरंजीब मुखर्जी और प्रशासनिक अधिकारी श्री अतुल यादव शामिल थे। अपने संबोधन में, निदेशक डॉ. गोस्वामी ने साहित्य को समाज का दर्पण बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति साहित्य और कला से नहीं जुड़ा, वह अधूरा है। उन्होंने एक रचना के माध्यम से जीवन की चुनौतियों का सामना करने का संदेश दिया।
डॉ. हरिओम और कवियों की प्रस्तुति
विशिष्ट अतिथि डॉ. हरिओम ने अपनी लोकप्रिय ग़ज़ल “मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूँ, सिकंदर हूँ मगर हारा हुआ हूँ” प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति पर पूरे सभागार में तालियां गूंजती रहीं।
इसके अलावा, कई मशहूर कवियों ने भी अपनी रचनाओं से समां बांधा:
- डॉ. मालविका हरिओम ने हिंदी भाषा पर आधारित रचना “हिंदी का परचम हमको लहराना है” सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया।
- हास्यकवि श्री सर्वेश अस्थाना ने अपनी व्यंग्यपूर्ण रचनाओं से सभागार को ठहाकों से भर दिया।
- डॉ. सोनरूपा, श्री प्रियांशु गजेंद्र और श्री शाहबाज तालिब ने अपनी खूबसूरत रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।
- संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी श्री संतोष ‘कौशिल’ ने भी अपनी रचना “ये माना तुम्हें भी कमाने बहुत हैं…” सुनाकर तालियां बटोरीं।
- हास्यकवि डॉ. पंकज प्रसून ने अपनी व्यंग्यात्मक रचना से दर्शकों को हंसाया।
- युवा कवि श्री अभिश्रेष्ठ तिवारी और श्री कुलदीप कलश ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं, जिन्हें खूब सराहा गया।
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कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम के अंत में, संस्थान के उप निदेशक श्री चिरंजीब मुखर्जी ने सभी उपस्थित अतिथियों और कवियों का आभार व्यक्त किया, जिसके बाद कार्यक्रम का औपचारिक समापन हो गया। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन श्री संतोष ‘कौशिल’ ने किया।
रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज