
Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी जिले के जसराना थाना क्षेत्र में नवंबर 1981 में हुए जातीय संघर्ष और 24 लोगों की सामूहिक हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने दो आरोपियों राम सेवक और कप्तान सिंह की सत्र अदालत से मिली मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया, जबकि आरोपी रामपाल सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
कोर्ट की टिप्पणी
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मुकदमा 44 वर्षों से लंबित रहा है।
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इतने लंबे समय बाद मृत्युदंड से न्याय का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
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दोषी दोनो आरोपियों को उम्रकैद के साथ एक–एक लाख रुपये जुर्माना भरना होगा।
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बरी किए गए आरोपी रामपाल सिंह के खिलाफ न आपराधिक षड्यंत्र साबित हुआ और न ही घटना में प्रत्यक्ष भूमिका।
पृष्ठभूमि
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19 नवंबर 1981 को फिरोजाबाद निवासी लायक सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
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जातीय हिंसा में 24 लोगों की मौत हुई थी, कई घायल हुए थे।
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एक ही परिवार के छह सदस्य मारे गए थे।
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सत्र अदालत/विशेष अदालत डकैती प्रभावित क्षेत्र, मैनपुरी ने 11 मार्च 2025 को फैसला सुनाया और 18 मार्च 2025 को दंडादेश पारित किया था।
खंडपीठ
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.डी. सिंह और न्यायमूर्ति तेज प्रताप तिवारी की खंडपीठ ने दिया। अदालत ने कहा कि यह फैसला न्याय और मानवता के बीच संतुलन का उदाहरण है।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज