
Bhopal News-उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि विश्व भर में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां हम राष्ट्र को “मां” की संज्ञा से संबोधित करते हैं। हमारे पूर्वजों ने समाज में सांस्कृतिक मूल्यों की अवधारणा स्थापित की है। प्रकृति, जल एवं सूर्य सहित समस्त ऊर्जा स्रोतों के संरक्षण के लिए उनके प्रति कृतज्ञता भाव के साथ, परंपरा स्थापित की है। कृतज्ञता का भाव, भारत की सभ्यता एवं विरासत है।
उन्होंने कहा कि स्वंतत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 के विकसित भारत की संकल्पना में हम सभी की सहभागिता आवश्यक है। युवाओं के परिश्रम और पुरुषार्थ से भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा और विश्वमंच पर हर क्षेत्र में सिरमौर होगा। वर्ष 2047 तक भारत ऊर्जा एवं खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी होगा और अन्य देशों की पूर्ति करने में सामर्थ्यवान भी होगा। अपनी चिकित्सा पद्धति के माध्यम से हम स्वस्थ भारत की संकल्पना सिद्धि की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री परमार गुरुवार को भोपाल स्थित एलएनसीटी विश्वविद्यालय के सभागृह में, कोशिश वेलफेयर सोसाइटी एवं एलएनसीटी समूह के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम “प्रेम-पाखी” को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने युवाओं के लिए प्रासंगिक कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई एवं शुभकामनाएं भी दीं।
कार्यक्रम में गोरखपुर से पधारी श्रृंगार रस की युवा कवियित्री श्वेता सिंह एवं वीर रस के ओजस्वी युवा कवि सूर्यकांत चतुर्वेदी द्वारा ऊर्जामयी काव्य पाठ किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य, युवाओं में तनाव मुक्ति, सकारात्मक सोच एवं सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार करना था।
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