
Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा में 1990 के जातीय संघर्ष मामले में दोषी ठहराए गए 32 अभियुक्तों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने कहा कि सभी अभियुक्त ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए 41-41 हजार रुपये के अर्थदंड को रिहाई की तारीख से 15 दिन के भीतर जमा करें।
अधिवक्ता राजीव लोचन शुक्ला ने अभियुक्तों की ओर से दलील दी कि मामले में 27 गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं, जिन्हें निचली अदालत ने नजरअंदाज कर दिया। अधिकांश अभियुक्त 65 वर्ष से अधिक आयु के हैं और बीमारियों से जूझ रहे हैं। मुकदमे के दौरान वे जमानत पर थे और किसी प्रकार का दुरुपयोग नहीं किया।
कोर्ट ने माना कि अपील की जल्द सुनवाई संभव नहीं है। अपीलार्थी संख्या 21, करीब 95 वर्षीय देवी सिंह पहले ही स्वास्थ्य आधार पर अल्पकालिक जमानत पर रिहा हैं। इसी आधार पर सभी को अपील लंबित रहने तक जमानत दी गई है।
क्या था मामला
21 जून 1990 को आगरा के सिकंदरा क्षेत्र के गांव पनवारी में बारात चढ़ने को लेकर विवाद जातीय हिंसा में बदल गया था। तीन दिन बाद 24 जून को अकोला गांव में भीड़ ने जाटव बस्ती पर हमला कर दिया। इस दौरान कई लोगों की मौत और गंभीर हिंसा हुई। तत्कालीन थानाध्यक्ष ने मुकदमा दर्ज कर 79 लोगों को आरोपित बनाया था। हाल ही में एससी-एसटी विशेष अदालत ने 32 अभियुक्तों को पांच-पांच वर्ष की सजा और जुर्माना सुनाया था।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज