
Sonbhadra News:अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के छात्रवृत्ति घोटाले में नामजद तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी व प्रभारी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रश्मि प्रभा शास्त्री को सत्र न्यायाधीश राम सुलीन सिंह की अदालत ने अग्रिम जमानत प्रदान की है। यह आदेश उच्च न्यायालय इलाहाबाद के निर्देश पर दिया गया।
मामला क्या है?
यह घोटाला वित्तीय वर्ष 1998-99, 1999-2000 और 2000-2001 की छात्रवृत्तियों से जुड़ा है। आरोप है कि उस दौरान अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को वितरित की जाने वाली छात्रवृत्ति के अभिलेख गायब कर दिए गए। इस संबंध में थाना राबर्ट्सगंज पर एनसीआर संख्या-47/2016 दर्ज की गई थी।
सतर्कता अधिष्ठान की जांच रिपोर्ट के आधार पर रश्मि प्रभा शास्त्री समेत तत्कालीन उर्दू अनुवादक सदरूल हुदा के खिलाफ धारा 201, 204, 409, 420 आईपीसी के तहत मुकदमा कायम हुआ।
बचाव पक्ष का पक्ष
रश्मि प्रभा शास्त्री की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने दलील दी कि –
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वह फरवरी 1999 से जुलाई 2002 और फिर 2005 से 2008 तक पद पर रहीं।
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उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है।
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वह 73 वर्षीय सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, जिनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं रही।
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आरोप निराधार और मनगढ़ंत हैं।
अदालत का आदेश
न्यायालय ने कहा कि अभियुक्ता को 50 हजार रुपये का व्यक्तिगत बंधपत्र और दो जमानतदार प्रस्तुत करने होंगे। शर्तों के अनुसार –
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वह जांच में सहयोग करेंगी।
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साक्ष्यों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगी।
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बिना अनुमति देश से बाहर नहीं जाएंगी।
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शर्तों का उल्लंघन करने पर अग्रिम जमानत स्वतः निरस्त हो जाएगी।
पृष्ठभूमि
रश्मि प्रभा शास्त्री वर्ष 1999 से 2002 और 2005 से 2008 तक सोनभद्र में कार्यरत रहीं। छात्रवृत्ति वितरण के अभिलेख न मिलने पर उन पर लापरवाही का आरोप लगाया गया था।
रिपोर्ट : रवि पांडेय
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