Ghaziabad- एक साल पहले उतारी थी प्लेटफाॅर्म की शेड… नहीं शुरू हुआ काम….

Ghaziabad- अमृत भारत योजना के तहत चल रहा गाजियाबाद रेलवे स्टेशन का विकास कार्य सुविधा की बजाय यात्रियों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। हालत यह है कि काम शुरू करने का दावा कर प्लेटफाॅर्म नंबर पांच की शेड एक साल पहले ही उतार दी गई थी। वहां बैठने की बेंचें भी हटा दी गई थीं, लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हुआ।
यहां कुछ इस तरह बैरिकेडिंग लगाई गई है कि आने वाली ट्रेन का पीछे खड़े व्यक्ति को पता भी नहीं चल सके। व्यक्ति अगर ट्रेन में चढ़ने के लिए आगे आना चाहे तो खड़े होने तक की जगह नहीं है। हालत यह कि धूप निकलने पर लोगों का पसीना निकलता है। आंखों में धूल भरती है। इन दिनों यात्री बारिश में भीग रहे हैं। यदि यात्री प्लेटफाॅर्म नंबर तीन या चार पर चले जाते हैं तो उनकी ट्रेन छूटने का खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं, दूसरे प्लेटफार्मों पर भीड़ भी बढ़ जाती है। वहां पहले से माैजूद लोगों के बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं होती, ऐसे में अतिरिक्त यात्रियों के लिए और मुसीबत बढ़ जाती है।

प्रतीक्षालय में भी चंद लोगों के बैठने की ही व्यवस्था है। मजबूरी में कुछ लोगों को एफओबी की गैलरी में नीचे बैठकर इंतजार करना पड़ता है। बुजुर्ग, बीमार लोगों को एफओबी पार कर सीढ़ियों से चढ़कर जाना ज्यादा कष्टदायी है। एनाउंसमेंट न होने की स्थिति में यात्रियों की ट्रेन छूटने की स्थिति बन जाती है।
अफसरों ने मूंद ली हैं आंखें
दो साल पहले अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के विकास कार्य का शिलान्यास किया था। उस समय दावा था कि अगस्त 2025 में काम पूरा हो जाएगा और लोगों को एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन सारे दावे फेल हो गए। कार्यदायी संस्था की उदासीनता से धीमी गति से काम हो रहा है। जिम्मेदारों ने भी अपनी आंखें बंद कर ली हैं।
दैनिक यात्री संघ के पदाधिकारी दीपक कुमार कहते हैं कि यात्रियों की सुविधा, समस्याओं से किसी का कोई लेनादेना नहीं है। स्टेशन पर खड़े होने की भी जगह नहीं है। शेड यदि उखाड़ना था तो वैकल्पिक व्यवस्था करनी थी। काम तेजी से कराना चाहिए था ताकि यात्रियों को दिक्कत न हो। अभी कितना समय लगेगा? इसका भी पता नहीं है।

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