
Explosions Before Jolly LLB 3: ‘जॉली एलएलबी 3′ की रिलीज़ से पहले, फैंस की उत्सुकता चरम पर है। यह फ्रैंचाइज़ी केवल कोर्टरूम ड्रामा नहीं, बल्कि हास्य, व्यंग्य और सामाजिक सच्चाइयों का एक अनूठा मिश्रण है। यहां हम उन पांच कारणों पर एक नज़र डालते हैं, जिन्होंने इस श्रृंखला को बेहद लोकप्रिय और यादगार बना दिया।
तीखा व्यंग्य और हास्य का संगम
इस फ्रैंचाइज़ी की सबसे बड़ी खासियत इसके तीखे और बुद्धिमान संवाद हैं। कोर्टरूम की बहसें जब हास्यास्पद रूप लेती हैं, तो दर्शक हंसे बिना नहीं रह पाते। ‘जॉली एलएलबी’ ने दिखाया कि कैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों पर भी कॉमेडी के माध्यम से गहरा संदेश दिया जा सकता है।
नाइंसाफी के खिलाफ ‘अंडरडॉग’ की लड़ाई
फिल्म की कहानी हमें एक ऐसे साधारण वकील से मिलाती है जो शक्तिशाली और भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ खड़ा होता है। पहले भाग में अरशद वारसी का जॉली एक दिग्गज वकील से भिड़ता है, जबकि दूसरे भाग में अक्षय कुमार का जॉली निजी दुख से प्रेरित होकर न्याय के लिए लड़ता है। दोनों ही कहानियों ने एक ऐसे नायक को दर्शाया है जिसके लिए दर्शकों के दिल से तालियां निकलीं।
जज त्रिपाठी का यादगार किरदार
अभिनेता सौरभ शुक्ला का किरदार, जज त्रिपाठी, दोनों फिल्मों की रीढ़ रहा है। उनकी शानदार टाइमिंग, व्यंग्यात्मक संवाद और कोर्टरूम की अफरा-तफरी के बीच संतुलन बनाए रखने की क्षमता ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया है। उनके कई संवाद और दृश्य आज भी याद किए जाते हैं।
अद्वितीय कोर्टरूम के क्षण
फिल्मों में अप्रत्याशित मोड़, तीखी बहसें और अचानक से आने वाले हास्य ने कोर्टरूम के दृश्यों को एक नया आयाम दिया। इन फिल्मों ने साबित किया कि कानूनी कार्यवाही भी मनोरंजक और रोमांचक हो सकती है, जिससे दर्शक अंत तक जुड़े रहते हैं।
दो जॉली का महासंग्राम
‘जॉली एलएलबी 3’ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें पहली बार अरशद वारसी का जॉली त्यागी और अक्षय कुमार का जॉली मिश्रा आमने-सामने होंगे। उनकी अलग-अलग कार्यशैली और सोच के टकराव से कोर्टरूम में एक अभूतपूर्व कानूनी जंग देखने को मिलेगी, जिसे बॉलीवुड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है। सुभाष कपूर द्वारा लिखित और निर्देशित यह फिल्म 19 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है।