
Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर जिले के पहुर गांव (तहसील बिंदकी) में सरकारी गाटा की भूमि से अवैध रूप से पेड़ काटे जाने के मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) को वापस लेने का दबाव बनाने हेतु याची के भाई और अन्य पर हमले को अत्यंत गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने हमले के आरोपी नरेंद्र सिंह को 13 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने अधिवक्ता अमित सिंह परिहार द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याची की ओर से दायर पूरक शपथपत्र में आरोप लगाया गया है कि विपक्षी नरेंद्र सिंह ने याचिका वापस लेने के लिए याची के भाई व परिवारजनों पर हमला किया। जब पीड़ित पक्ष थाने पहुंचा तो नरेंद्र सिंह—जो आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति प्रतीत होता है—ने पुलिस से मिलीभगत कर उल्टे याची और उनके परिजनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी, जबकि असली शिकायत की एफआईआर देर रात 11 बजे दर्ज की गई और विपक्षी की शिकायत को जानबूझकर पहले शाम में दर्ज किया गया।
शपथपत्र में यह भी आरोप है कि नरेंद्र सिंह हत्या के एक पुराने मामले में आरोपी है और फिलहाल याची के माता, पिता और भाई को लगातार धमका रहा है कि वे यह जनहित याचिका वापस ले लें, अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
कोर्ट ने इन आरोपों को अत्यंत चिंताजनक बताते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को अदालत जाने से रोकना या न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह गंभीर आपराधिक अवमानना का मामला बनता है। न्यायालय ने कहा कि यह न्याय प्रणाली को प्रभावित करने का घातक प्रयास है और इससे पहले कि कोर्ट इस पर कोई कठोर आदेश पारित करे, विपक्षी नरेंद्र सिंह को नोटिस देकर अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का अवसर दिया जा रहा है।
साथ ही, कोर्ट ने एसपी फतेहपुर को निर्देश दिया है कि वह आरोपी को नोटिस की तामीली सुनिश्चित कराएं और कल्याणपुर थाने के एसएचओ की भूमिका पर, जिन पर मामले में हेरफेर और पक्षपात का आरोप है, व्यक्तिगत रूप से शपथपत्र प्रस्तुत करें।
रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज