
MP News: सिंगरौली जिले में प्रधान आरक्षी विवेक सिंह के संरक्षण में ‘कोल माफिया और कम्पनी का आतंक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। यह कंपनी अब कोयला मिलावट के संगठित नेटवर्क में बदल चुकी है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, ट्रेन से सीधे रैक मंगवाकर छाई (फ्लाई ऐश) और डस्ट को असली कोयले में मिलाया जा रहा है, जिससे ना केवल सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय उद्योगों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
महदेइया बना मिलावट का गढ़
महदेइया क्षेत्र में ‘ कंपनी’ द्वारा यह अवैध मिलावट खुलेआम की जा रही है। वहाँ के गोदामों में छाई और डस्ट के बड़े ढेर देखने को मिल रहे हैं, जिनका उपयोग कोयले में मिलावट के लिए किया जाता है।
मिलावट का रैकेट – ट्रकों में धड़ल्ले से हो रहा परिवहन
सुबह-शाम सैकड़ों ट्रक महादेइया से कथित “साफ कोयला” लेकर विभिन्न परियोजनाओं और उद्योगों की ओर रवाना हो रहे हैं। लेकिन हकीकत में इन ट्रकों में छाई व डस्ट की भरमार होती है। ‘महावीर कंपनी’ इस मिलावट से करोड़ों की कमाई कर रही है, जबकि आम जनता और पर्यावरण इसकी कीमत चुका रहे हैं।
खाकी और खादी की चुप्पी पर सवाल
इस संगठित अपराध में मोरवा के ख़ाकी और जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। थानों की खाकी वर्दी और जनप्रतिनिधियों की खादी पोशाक – दोनों की चुप्पी अब संदेहास्पद लग रही है। स्थानीय लोग कहते हैं, “जो देख सकता है, वो देख नहीं रहा; जो सुन सकता है, वो सुन नहीं रहा — गांधी जी के बंदर यहां जीते-जागते नज़र आते हैं।”
जनआक्रोश उभरता
स्थानीय नागरिक संगठनों, और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस पूरे प्रकरण पर सीबीआई जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो यह काला कारोबार पूरे क्षेत्र को अंधेरे में धकेल देगा।
महावीर कंपनी के खिलाफ अब आवाज़ बुलंद हो रही है। देखना यह है कि क्या प्रशासन, पुलिस और जनप्रतिनिधि अब भी आँख मूंदे रहेंगे या जनता के साथ खड़े होकर काले हीरे में फैल रही इस कालिख को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करेंगे।