
Prayagraj News: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि रिट क्षेत्राधिकार में दी जाने वाली न्यायिक सहानुभूति (Equity) का लाभ उन व्यक्तियों को नहीं दिया जा सकता, जो अपने दायित्वों को लगातार निभाने में विफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में लीज की पुनर्बहाली भविष्य के आवंटियों को भुगतान कार्यक्रमों और अन्य दायित्वों की अनदेखी करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने कहा,
दीर्घकालिक चूक के बाद लीज की बहाली की नीति भविष्य के आवंटियों के लिए नकारात्मक उदाहरण स्थापित करेगी, जिससे वे भुगतान अनुसूची और वैधानिक दायित्वों की उपेक्षा करेंगे, यह सोचकर कि अंततः उन्हें रियायत मिल जाएगी। यह आवंटन की प्रणाली में लागू अनुशासनात्मक उपायों जैसे लीज रद्दीकरण और ई-नीलामी की प्रभावशीलता को कमजोर करता है।” कोर्ट ने यह भी कहा, “यद्यपि न्यायिक सहानुभूति रिट क्षेत्राधिकार का अभिन्न हिस्सा है, परंतु यह उन पक्षकारों के पक्ष में लागू नहीं की जा सकती, जिन्होंने लीज व आवंटन की शर्तों के अंतर्गत अपने दायित्वों को बार-बार निभाने में विफलता दिखाई है।”
मामले की पृष्ठभूमि: याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) द्वारा वाराणसी जिले में एक फल पकाने की औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए भूमि आवंटित की गई थी। लेकिन कब्जा लेने के बाद याचिकाकर्ता ने 19,82,912.03 का शेष प्रीमियम भुगतान नहीं किया। कई अवसर और यहां तक कि हाईकोर्ट के आदेश से दी गई मोहलत के बावजूद याचिकाकर्ता ने भुगतान नहीं किया। नतीजतन, लीज रद्द कर दी गई और बहाली के लिए दी गई अर्जी भी खारिज कर दी गई।
इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में लीज रद्द करने के आदेश को चुनौती दी और बहाली याचिका की अस्वीकृति रद्द करने की मांग की। कोर्ट ने Skyline Contractors Pvt. Ltd. बनाम राज्य उत्तर प्रदेश मामले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण द्वारा आंशिक और देरी से हुए भुगतान के बावजूद लीज रद्द करने को सही ठहराया था, क्योंकि भुगतान एकतरफा तरीके से प्राधिकरण की अनुमति के बिना किया गया था। कोर्ट की टिप्पणी,
याचिकाकर्ता ने UPSIDA से कोई औपचारिक समय विस्तार नहीं लिया। बहाली आवेदन में देरी के लिए दिया गया स्पष्टीकरण 4 साल की लगातार चूक को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता। लीज रद्द होने और भूमि की ई-नीलामी की सूचना जारी होने के बाद भुगतान करने की मंशा, पूर्व की स्वेच्छिक विफलताओं को नहीं मिटा सकती। कोर्ट ने कहा, “बार-बार की गई चूक के बावजूद यदि लीज बहाल कर दी जाए तो उसके गंभीर प्रभाव होते हैं। राज्य की राजकोषीय और प्रशासनिक नीतियां, विशेषकर औद्योगिक भू-आवंटन और लीज अनुबंधों से जुड़ी, सार्वजनिक उत्तरदायित्व, संसाधनों के कुशल उपयोग और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के सिद्धांतों पर आधारित होती हैं।” 14 बार लगातार भुगतान करने में विफलता को कोर्ट ने राजकोषीय अनुशासन, जनहित और औद्योगिक नीति के उद्देश्यों की बुनियाद पर प्रहार बताया। कोर्ट ने UPSIDA द्वारा आवंटन रद्द करने के निर्णय को सहानुभूति और उत्तरदायित्व का संतुलन करार दिया। रिट याचिका खारिज कर दी गई।
रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज