
Prayagraj News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से इस सवाल का जवाब मांगा है कि क्या अब गैंग्स्टर एक्ट बेमानी नहीं हो गया है? कोर्ट का कहना है कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 111, जो ‘संगठित अपराध’ को परिभाषित करती है लागू है। ऐसे में उत्तर प्रदेश गैंग्स्टर्स और असामाजिक गतिविधियाँ (निवारण) अधिनियम, 1986 के प्रावधान ‘अनावश्यक’ प्रतीत होते हैं। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।और याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने कहा “इस कोर्ट का मानना है कि धारा 111 बीएनएस. का प्रावधान, उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के प्रावधानों की तरह संगठित अपराध के लिए दंड से संबंधित है। इसलिए, धारा 111 बीएनएस शामिल होने से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के प्रावधान निरर्थक हो गए हैं। हम यह भी पाते हैं कि दंड संहिता के तहत अपराध करने के संबंध में याची के विरुद्ध गैंगस्टर अधिनियम के प्रावधान लागू किए गए हैं, जिन्हें अब बीएनएस द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।” कोर्ट ने यह टिप्पणी मीरजापुर निवासी विजय सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए की है। याची के वकील ने दलील दी कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। याची सभी मूल मामलों में जमानत पर है। सरकार की ओर से एजीए ने दलीलों का विरोध किया। दलील दी कि याची इस न्यायालय से किसी भी तरह की रियायत का हकदार नहीं है। कोर्ट ने विवेचना में सहयोग की शर्त पर अगली सुनवाई तक याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज