
Allahabad High Court order- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पिछले 27 वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को नियमितीकरण की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया है।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने अदालत में यह तर्क रखा था कि वे लंबे समय से विश्वविद्यालय में समान कार्य करते हुए सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक अस्थायी कर्मचारी के रूप में रखा गया है। जबकि अन्य कर्मचारियों को समान कार्य पर नियमित नियुक्ति दी जा चुकी है। याचिका में कहा गया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि कर्मचारी पिछले कई वर्षों से बिना किसी रुकावट के कार्य कर रहे हैं और उनकी सेवा की आवश्यकता संस्थान को निरंतर बनी हुई है, तो उन्हें अनिश्चितकाल तक अस्थायी बनाए रखना न्यायोचित नहीं है। कोर्ट ने बीएचयू प्रशासन को निर्देशित किया है कि वह तय समयसीमा के भीतर पात्र कर्मचारियों के दस्तावेजों की जांच कर नियमितीकरण की प्रक्रिया आरंभ करे।
इस निर्णय से बीएचयू के सैकड़ों संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो लंबे समय से नियमित नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।