
Prayagraj News-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय सेना के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले एक व्यक्ति को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत देने से इन्कार कर दिया है। आरोपित अशरफ खान उर्फ निसरत ने अपने फेसबुक पेज पर कई आपत्तिजनक वीडियो और पोस्ट शेयर किए थे, जो भारतीय सेना और सरकार के प्रति अनादर दिखाते थे।
न्यायालय का फैसला और तर्क
न्यायालय ने कहा कि संविधान के तहत प्रदत्त वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ऐसे कृत्यों तक सीमित नहीं है जो उच्च गणमान्य व्यक्तियों का अपमान तथा नागरिकों के बीच वैमनस्य पैदा करते हैं। न्यायालय ने कहा कि उच्च प्रतिष्ठित व्यक्तियों के खिलाफ निराधार आरोप लगाकर, ऐसी सामग्री पोस्ट करना जो लोगों के बीच वैमनस्य और घृणा पैदा करती है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में सोशल मीडिया का दुरुपयोग करना ‘कुछ लोगों के समूहों के बीच फैशन’ बन गया है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार कुछ सीमाओं के अधीन है, और सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री पोस्ट करना जो राष्ट्र की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालती है, स्वीकार्य नहीं है। न्यायालय ने कहा कि यह स्वतंत्रता किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री, भारतीय सेना और उसके अधिकारियों के प्रति असम्मानजनक वीडियो और अन्य पोस्ट करने की अनुमति नहीं देती।
राष्ट्र की संप्रभुता और एकता की रक्षा
न्यायालय ने कहा कि ऐसी पोस्ट जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालती हैं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत नहीं आती हैं। न्यायालय ने कहा कि राष्ट्र की संप्रभुता और एकता की रक्षा करना आवश्यक है, और सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री पोस्ट करना जो इसके विरुद्ध हो, स्वीकार्य नहीं है।
सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए न्यायालय की भूमिका
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए गंभीर है। न्यायालय ने कहा कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग करना और उच्च प्रतिष्ठित व्यक्तियों के खिलाफ निराधार आरोप लगाना कुछ लोगों के बीच फैशन बन गया है, जिसे रोकने के लिए न्यायालय को कड़ी कार्रवाई करनी होगी।
रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज
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