Hathras stampede kills 121 People: हाथरस भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में हाथरस में सत्संग में भगदड़ की घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की मांग की गई है, जिसमें 121 लोगों की जान चली गई थी।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करने का आग्रह किया गया है। याचिका में भोले बाबा के समागम में हुई घटना के लिए जिम्मेदार लोगों और अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्य सरकारों से पिछले कुछ सालों में हुई भगदड़ की घटनाओं पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है। याचिका में कोर्ट से अब तक उठाए गए कदमों और भविष्य में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी जुटाने का भी आग्रह किया गया है। याचिकाकर्ता ने ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के लिए दिशा-निर्देश तय करने की भी अपील की है।
इस बीच, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत याचिका में अधिवक्ता विशाल तिवारी ने हाथरस भगदड़ की सीबीआई जांच की मांग की है। अधिवक्ता गौरव द्विवेदी द्वारा दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि जिला अधिकारी अपने “लापरवाह” कृत्य के लिए “पूरी तरह जिम्मेदार” हैं, जिसके कारण भगदड़ हुई और राज्य में इस प्रकार की अनुचित कानून व्यवस्था की स्थिति से लोगों का सरकार पर से विश्वास उठ जाएगा।
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हाथरस जिले के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलराई गांव में भोले बाबा उर्फ नारायण साकर हरि नामक एक स्वयंभू बाबा द्वारा आयोजित इस दुखद घटना में 121 लोगों की जान चली गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज पीड़ित परिवारों से मिलने और सत्संग स्थल का दौरा करने जा रहे हैं। सीएम ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।